भारतीय समयानुसार खग्रास चंद्रग्रहण का स्पर्शकाल रात 10.52 बजे और मोक्ष मध्य रात्रि 12.49 बजे

ग्रहण के सूतक काल दोपहर 1.52 से पहले ही मंगलाआरती कर बंद हुआ मंदिरों का कपाट

ALLAHABAD: त्योहार का दिन, सावन का अंतिम सोमवार और उस पर ग्रहण का साया। यह तीनो योग एक ही दिन बना। भारतीय समयानुसार चंद्रग्रहण का स्पर्श काल रात 10.52 बजे था लेकिन उसके नौ घंटे पहले ही सूतक लग गया। सूतक के समय पूजन आदि कर्म नहीं किया जाता है। यही वजह रही कि सूतक लगने से पहले ही मंदिरों का कपाट बंद कर दिया गया। बंधवा स्थित बड़े हनुमानजी मंदिर, सिविल लाइंस हनुमत निकेतन, मनकामेश्वर महादेव, मां कल्याणी देवी व ललिता देवी सहित अन्य मंदिरों में गर्भगृह में पूजन-अर्चन पर पाबंदी लगा दी गई।

मंगला आरती के बाद गर्भगृह पर ताला

बड़े हनुमानजी मंदिर के संरक्षक नरेन्द्र गिरि की अगुवाई में दोपहर 1.30 बजे मंगलाआरती की गई। उसके बाद गर्भगृह व मेन गेट को बंद कर दिया गया। मनकामेश्वर महादेव मंदिर में गर्भगृह को बंद किया गया लेकिन सावन का अंतिम सोमवार होने की वजह से परिसर को खोला गया था। नागवासुकि मंदिर व कोटेश्वर महादेव मंदिर में दोपहर 1.45 बजे तक कपाट खोला गया था। उसके बाद मंदिर परिसर की साफ-सफाई कर बंद किया गया।

कपाट बंद तो बाहर से ही किया दर्शन

मंदिरों के गर्भगृह और परिसर की साफ-सफाई की वजह से सूतक के पहले ही कपाट बंद कर दिया लेकिन शिवालयों के बाहर भक्तों की भीड़ लगी रही। खासतौर से मनकामेश्वर मंदिर, नागेश्वर धाम, अखिलेश्वर महादेव व तक्षक तीर्थ में बाहर से ही भगवान शिव की आराधना करके भक्तों को लौटना पड़ा।

अभिषेक के बाद होगा दर्शन

चंद्रग्रहण का मोक्ष काल यानि ग्रहण का समापन मध्य रात्रि 12.49 बजे हो जाएगा। ग्रहण समाप्त होते ही गंगा स्नान शुरू हो जाएगा लेकिन मंदिरों का कपाट मंगलवार को भोर में ही खोला जाएगा। मां कल्याणी देवी, अलोपशंकरी व ललिता देवी मंदिर में पंचामृत से मां भगवती को स्नान कराकर नया वस्त्र पहनाया जाएगा। तो बड़े हनुमानजी मंदिर और हनुमत निकेतन में दूध व गंगाजल से अभिषेक किया जाएगा।

Posted By: Inextlive