- राज्यविति आयोग की राशि में पांच प्रतिशत की कई गई कटौती

- 1992 संशोधन को नजरंदाज करने पर जताई नाराजगी

- महापौर परिषद ने विरोध में बनाई एक्शन कमेटी

राज्यविति आयोग की राशि में पांच प्रतिशत की कई गई कटौती

- क्99ख् संशोधन को नजरंदाज करने पर जताई नाराजगी

- महापौर परिषद ने विरोध में बनाई एक्शन कमेटी

LUCKNOW: lucknow@inext.co.in

LUCKNOW: प्रदेश सरकार के पारित नगर निगम (संशोधन) विधेयक पर अपनी आपत्ति दर्ज कराते हुए महापौर परिषद ने खुला विरोध शुरू कर दिया। मेयर के अधिकारों के हनन के सवाल पर कई डिस्ट्रिक्ट के मेयरों ने मुख्यालयों पर धरना प्रदर्शन कर बिगुल बजा दिया। इसी कड़ी में महापौर परिषद के तत्वाधान में ट्यूज्डे को कई सिटी के महापौरों ने राज्यपाल से मिलकर प्रदेश सरकार के पारित विधेयक को अनुमति न देने की मांग को लेकर एक ज्ञापन सौंपा।

राज्यपाल को दिया ज्ञापन

प्रदेश सरकार ने महापौर के अधिकारों के कम करने फैसले के विरोध में ट्यूज्डे को महापौर राष्ट्रीय परिषद ने राज्यपाल को विधेयक के पक्ष में अनुमति न देने की मांग को लेकर एक ज्ञापन सौंपा। इससे पूर्व महापौर परिषद ने मेयर काउंसिल ने एक्शन कमेटी का गठन किया है। यह कमेटी समस्त महापौरों को साथ लेकर प्रदेश सरकार के निर्णय के विरोध में योजना तैयार करेगी। इस संबंध में सोमवार को काउंसिल की बैठक में निर्णय लिया गया है। विरोध में राज्यपाल को प्रत्यावेदन देकर संशोधन विधेयक को अनुमति न प्रदान करने की मांग की है।

मेयर को भी पब्लिक चुन कर भेजती है

प्रदेश सरकार ने उत्तर प्रदेश नगर निगम संशोधन विधेयक, ख्0क्भ् की धारा क्म्-ए में संशोधन किया है। इसमें महापौरों को हटाने का प्रावधान किया गया है। मेयर काउंसिल के अध्यक्ष व लखनऊ के महापौर डॉ। दिनेश शर्मा ने बताया कि लोकतांत्रिक तरीके से सीधे जनता से चुने जाने वाले महापौर को हटाने का प्रावधान जन सामान्य का अपमान है और संविधान खुला उल्लघंन है। उन्होंने बताया कि नगर निगम संशोधन विधेयक ख्0क्भ्, सौ वर्ष पहले के अंग्रेजों के बनाए गए म्यूनिसिपल एक्ट क्9क्म् और आजादी के क्ख् वर्ष बाद बने कारपोरेशन एक्ट क्9भ्9 को मिलाकर बनाया गया है। जबकि क्99ख् संशोधन एक्ट को नजरदांज कर जनता के प्रतिनिधित्व को कठपुतली बनाने का प्रयास किया गया है।

मेयर के अधिकारों का हो रहा हनन

महापौर परिषद के अध्यक्ष डॉ। दिनेश शर्मा ने कहा हमारे अधिकारों का हनन कर स्वायत्तशासी निकाय के साथ मजाक किया गया है। सांसद व विधायक की तरह महापौर भी सीधे जनता से चुने जाते हैं। महापौर शासन एवं जनता के बीच समन्वय स्थापित करने की एकमात्र कड़ी है, जिसके हटने से असंवैधानिक स्थिति पैदा हो जाएगी। इसके साथ ही जनता और शासन के बीच संवादहीनता की स्थिति भी पैदा होगी। महापौर परिषद ने राज्यपाल से मिलकर सरकार से पारित संशोधन विधेयक ख्0क्भ् को अनुमति न प्रदान करने संबंधी प्रत्यावेदन सौंपा है। विरोध के क्रम में मेयर काउंसिल सीएम अखिलेश यादव से भी मिलने का समय लिया है। वहीं नगर विकास मंत्री तथा केंद्रीय शहरी विकास मंत्रालय से भी इस संबंध में वार्ता करेगी।

एक्शन कमेटी गणित की गई

छह सदस्यीय एक्शन कमेटी में वाराणसी के महापौर रामगोपाल मोहले कमेटी के अध्यक्ष होंगे। कमेटी में मेरठ के मेयर हरीकांत अहलूवालिया, गोरखपुर की डॉ। सत्या पांडेय, मुरादाबाद की मेयर बीना अग्रवाल शामिल हैं। जबकि पूर्व मेयर लखनऊ के डॉ। दाऊ जी गुप्ता व बरेली के सुभाष पटेल संरक्षक के तौर पर मार्गदर्शन करेंगे।

Posted By: Inextlive