-रिटायर्ड सफाई कर्मचारियों के फर्जी हस्ताक्षरों पर हो रहा भुगतान

-स्वास्थ विभाग के बाबू कमीशन खोरी की आड़ में कर रहे खेल

Meerut : नगर निगम राशिकरण के नाम पर फर्जीवाड़े का एक बड़ा खेल सामने आया है। निगम के बाबू राशिकरण के नाम पर रिटायर्ड सफाई कर्मचारियों के फर्जी हस्ताक्षर करा हर साल करोड़ों रुपए का पेमेंट कर रहे हैं। यहीं नहीं राशिकरण के लिए बनने वाले फिटनेस सर्टिफिकेट्स में भी खुला खेल खेला जाता है। यहां चौंकाने वाली बात यह है कि सालों से चली आ रही इस व्यवस्था की ओर से निगम आला अफसरों ने भी आंखे मूंदी हुई है।

क्या है राशिकरण

सफाई कर्मचारी रिटायरमेंट के बाद जरूरत पड़ने पर अपनी पेंशन का ब्0 फीसदी सरकार को पंद्रह वर्ष के लिए रखकर उसके सापेक्ष से लोन उठा लेते हैं। बाद में यह लोन कर्मचारियों की पेंशन में से कटता रहता है। इस प्रक्रिया को दफ्तरी भाषा में राशिकरण कहा जाता है। राशिकरण कराने के लिए संबंधित कर्मचारी को मुख्य चिकित्सा अधिकारी के यहां से फिटनेस सर्टिफिकेट बनवाना होता है। चिकित्सा विभाग से जारी यह सर्टिफिकेट नगर निगम के पेंशनर बाबू के यहां जमा कर दिया जाता है, जिसके बाद संबंधित बाबू के सामने आवेदनकर्ता कर्मचारी पेश होता है। बाबू कर्मचारी की फाइल में लगे फोटो से कर्मचारी का मिलान करता है, इसके बाद सारे दस्तावेजों की जांच कर राशिकरण कर दिया जाता है।

ये है प्रक्रिया --

-सफाई कर्मचारी नगर स्वास्थ अधिकारी के यहां प्रार्थना पत्र देता है

-नगर स्वास्थ अधिकारी पेंशनर बाबू को प्रार्थना पत्र अग्रसारित करता है

-पेंशनर बाबू सीएमओ ऑफिस के लिए पत्र जारी करता है

-कर्मचारी सीएमओ ऑफिस में जाकर अपनी स्वास्थ जांच कराता है। इस दौरान उसकी अंगूठा हस्ताक्षर नमूना भी लिया जाता है।

-स्वास्थ जांच के बाद कर्मचारी का स्वास्थ प्रमाण पत्र बना दिया जाता है

-कर्मचारी स्वास्थ प्रमाण पत्र को पेंशनर बाबू के यहां जमा कर देता है

-पेंशनर बाबू फाइल और फोटो से कर्मचारी का मिलान कर चेक जारी कर देता है

ऐसे होता है फर्जीवाड़ा

-असल सफाई कर्मचारी के स्थान पर कोई अन्य व्यक्ति पेंशनर बाबू से मिलता है

-पेंशनर बाबू सीएमओ ऑफिस के लिए लेटर जारी करता है, जिसके माध्यम से कोई अन्य व्यक्ति असल कर्मचारी बन अपना मेडिकल चेकअप कराता है

-उसके बाद मेडिकल सर्टिफिकेट को लेकर पेंशनर बाबू के यहां जमा कर देता है

-पेंशनर बाबू अपनी फीस लेकर कागजी खानापूर्ति कर कर्मचारी के नाम पर चेक जारी कर देता है

क्यों होता है फर्जीवाड़ा

दरअसल, राशिकरण का मूल आधार सीएमओ ऑफिस से जारी होने वाली स्वास्थ प्रमाण पत्र टिका है। कई बार रिटायरमेंट के बाद सफाई कर्मचारी या तो फिजीकली डिसेबल्ड हो जाता या बीमार पड़ जाता है या फिर शहर से बाहर जाकर कहीं दूसरी जगह रहने लगता है। ऐसे में मेडिकल चेकअप से बचने के लिए अपने किसी रिश्तेदार या फिर दलालों का सहारा लेकर राशिकरण कराते हैं। पेंशनर बाबू से सांठगांठ कर किसी बाहरी व्यक्ति को कर्मचारी बनाकर पूरी प्रक्रिया का अंजाम देता है। और मूल कर्मचारी को घर बैठे-बिठाए राशिकरण की धनराशि मिल जाती है।

ये हैं मामले --

केस वन --

नगर निगम से रिटायर्ड सफाई कर्मचारी सोमनाथ पुत्र मंगल ने दो माह पूर्व राशिकरण कराया था। उस समय उसकी हालत काफी नाजुक थी। इस मामले में पेंशनर बाबू ने दलाल के माध्यम से किसी अन्य व्यक्ति को कर्मचारी दिखाकर खेल दिखाकर राशिकरण करा दिया।

केस टू --

रिटायर्ड सफाई कर्मचारी बुद्ध प्रकाश पुत्र मुरारी निवासी लिसाड़ी गेट बीमारी के कारण चलने फिरने लायक नहीं रहा। इस मामले में भी पेंशनर बाबू ने दलाल के माध्यम से किसी अन्य व्यक्ति को कर्मचारी दिखाकर खेल दिखाकर राशिकरण करा दिया।

केस थ्री --

रिटायर्ड सफाई कर्मी कुसुम पत्नी चुन्नी लाल रिटायरमेंट के बाद से अलीगढ़ रह रही है। कुसुम का बिना मेरठ आए ही राशिकरण कर दिया गया।

राशिकरण प्रकरण में यदि कोई धांधली का मामला है तो उसकी जांच कराई जाएगी। नियम कायदों से खिलवाड़ करने वाले दोषी लोगों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।

-डॉ। प्रेम सिंह, नगर स्वास्थ अधिकारी नगर निगम

पूरे मामले की निष्पक्ष जांच कराई जाएगी। यदि किसी भी स्तर पर फर्जीवाड़ा मिलता है तो दोषी के खिलाफ दण्डात्मक कार्रवाई की जाएगी।

-एसके दुबे, नगरायुक्त, मेरठ

Posted By: Inextlive