एक्जिट पोल के नतीजे भाजपा की जीत की भविष्यवाणी कर रहे हैं और इसका श्रेय दिया जा रहा है नरेंद्र मोदी के प्रचार अभियान को बीबीसी मॉनिटरिंग सेवा ने मोदी के भाषणों में इस्तेमाल होने वाले शब्दों का विश्लेषण ये समझने के लिए किया कि उन्होंने कब किन मुद्दों पर ज़ोर दिया.


जनवरी के बाद दिए गए नरेंद्र मोदी के बयानों और भाषणों के विश्लेषण से पता चलता है कि उन्होंने अपना फ़ोकस चुनाव प्रचार के बीच ज़रूरत के हिसाब से बदला.मार्च के मध्य तक उनके  भाषणों में अन्य किसी शब्द की तुलना में 'विकास' और 'भारत' शब्द अधिक आए.नरेंद्र मोदी ने अपनी सरकार की 'विकासवादी', 'युवा समर्थक' और 'स्वच्छ शासन' की नीतियों का ज़िक्र अपने भाषण में कई बार किया.उन्होंने मतदाताओं से कहा कि अगर देश के प्रधानमंत्री चुने गए तो वे गुजरात राज्य की सर्वोत्तम नीतियों को राष्ट्रीय स्तर पर दोहराएँगे.अप्रैल-मई में उन्होंने एक समुदाय, एक क्षेत्र से जुड़े मसलों को उठाया और विकास के गुजरात मॉडल की चर्चा करते रहे. अप्रैल में उनका ध्यान उत्तर प्रदेश पर केंद्रित हो गया जहाँ 80 संसदीय सीटें हैं.


अप्रैल में मोदी ने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और उनके बेटे राहुल गांधी पर हमले तेज़ कर दिए. कांग्रेस सरकार के लिए उन्होंने अपने भाषणों में अक्सर ' माँ-बेटे की सरकार' जैसे जुमले का प्रयोग किया. उन्होंने कहा कि मां-बेटे की सरकार 16 मई के बाद ख़त्म हो जाएगी.

उत्तर प्रदेश और बिहार जैसे राज्यों में जहाँ दलितों और अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) की अच्छी-ख़ासी आबादी है वहाँ मोदी ने अपनी 'जाति' के बारे में बात की. उन्होंने कहा कि वो अन्य पिछड़ा वर्ग से आते हैं, इसलिए कुछ लोग उनको सत्ता में आने से रोकने की कोशिश कर रहे हैं.मार्च तक वो अपनी जाति बताने से बचते रहे थे और अपना ध्यान विकास और आर्थिक सुधारों पर लगाया हुआ था.

Posted By: Subhesh Sharma