जम कर केरल में बरसा मानसून 11 जून तक पहुंचेगा गोवा
गर्मी से झुलस रहे लोगों के लिए राहत देने वाली खबर। दक्षिण-पश्चिम मानसून ने जोरदार बारिश के साथ शुक्रवार को केरल तट पर दस्तक दे दी है। इसके चलते केरल के अधिकांश हिस्सों में रात से ही भारी बारिश हो रही है। राजधानी तिरुअनंतपुरम में शुक्रवार सुबह जोरों की बारिश हुई, लेकिन बाद में आसमान साफ हो गया। इसके साथ ही देश में वर्षा ऋतु का भी श्रीगणेश हो गया है।
भारतीय मौसम विज्ञान विभाग ने बताया कि केरल तट पर दस्तक देने के बाद यह आगे की ओर बढ़ गया। इसके चलते लक्षद्वीप, तमिलनाडु, तटीय व दक्षिणी कर्नाटक में भी जोरों की बारिश हुई है। अगले 48 घंटों में इसके कर्नाटक और तमिलनाडु के कुछ और हिस्सों में पहुंचने की संभावना है। इस दौरान यह रायलसीमा और तटीय आंध्र प्रदेश होते हुए उत्तर-पूर्व की ओर बढ़ जाएगा। इस गति के हिसाब से आने वाली 11 जून तक गोवा भी मानसून की पहली बौछार का मजा ले सकेगा। तेज मानसूनी हवाओं के मद्देनजर मछुआरों को समुद्र में न जाने की सलाह दी गई है। इस बार यह अपने आगमन की निर्धारित तिथि एक जून से चार दिन की देरी से पहुंचा है। मौसम विभाग ने पहले 30 मई को मानसून के आने की उम्मीद जताई थी।
स्काईमेट ने कमजोर मानसून की आशंका को खारिज कियाइस बीच मौसम विज्ञान के क्षेत्र में काम करने वाली भारत की एकमात्र निजी संस्था स्काइमेट ने कमजोर मानसून के पूर्वानुमान को खारिज करते हुए अच्छी बारिश की उम्मीद जताई है। इसने कहा है कि इस साल ङ्क्षहद महासागर द्विध्रुवीय प्रभाव अल नीनो का मुकाबला करेगा, जिसके चलते दीर्घावधि औसत की 102 फीसद बारिश होगी। उल्लेखनीय है कि भारतीय मौसम विज्ञान कार्यालय ने पहले सामान्य से कम बारिश की उम्मीद जताई थी। हालांकि, बाद में इसने नया पूर्वानुमान जारी किया और कमजोर मानसून की आशंका जताई। मौसम विज्ञान कार्यालय को दीर्घावधि औसत की 88 फीसद बारिश की उम्मीद है। स्काइमेट के मुख्य मौसम वैज्ञानिक जीपी शर्मा ने कहा कि अल नीनो का खतरा अपनी जगह कायम है। हम उसे नकार नहीं रहे हैं। लेकिन ङ्क्षहद महासागर द्विध्रुवीय प्रभाव हमें उस खतरे से उबार लेगा। शर्मा ने पिछले कई सालों का उदाहरण देते हुए कहा कि 1967, 1977, 1997 और 2006 में अल नीनो के बावजूद ङ्क्षहद महासागर द्विध्रुवीय प्रभाव के चलते पर्याप्त बारिश हुई थी।
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