Malang Movie Review: मोहित सूरी जी यूं ही इतना वॉयलेंस फैल रखा है और कितना वॉयलेंस दिखाएंगे। दर्शकों को डायवर्ट क्यों कर रहे हैं साफ साफ कहते ना एक विलेन पार्ट टू बना रहे हैं जो कि गजनी की सस्ती कॉपी भी है। अर्जित सिंह के मोड वाले गाने इम्तियाज अली की फिल्मों की फिलॉस्फी के साथ भट्ट कैंप वाला जो घिसा पीटा फार्मूला आपने लगाया है वह आपके आशिकी फैन्स को दुख पहुंचाने के लिए काफी है। यकीन नहीं हो तो पूरा रिव्यू पढ़िए साथ ही देखिए फिल्‍म पर दर्शकों की राय।

फिल्म : मलंग

कलाकार: आदित्य रॉय कपूर, दिशा पटानी, कुणाल खेमू, अनिल कपूर

निर्देशक : मोहित सूरी

क्या है कहानी : Malang Movie Review : इम्तियाज अली की फिल्मों का सस्ता वर्जन वाला किरदार अद्वैत( आदित्य रॉय कपूर) मलंग है। उसे दुनिया में सिर्फ मौज मस्ती करनी है। उसको ठहरना नहीं है, भागना है लेकिन कहानी में ट्विस्ट तब आता है जब उसकी जिंदगी में सारा( दिशा) की एंट्री होती है। हैंगआउट करते- करते बात आगे बढ़ जाती है। उधर पैरेलल में एक 80- 90 के दौर में बी ग्रेड फिल्मों वाला सब्जेट भी चल रहा है। माइकल( कुणाल खेमू) की एक शारीरिक कमजोरी है जिसे छुपाने के लिए वह सारा का मर्डर करवा देता है। उधर अंजय( अनिल कपूर) अपनी बेटी को खोने के गम में पागल है। गोवा का प्लॉट है, गजनी के तर्ज पर प्रेमिका के मरने पर प्रेमी बदला ले रहा है। अंजय बेटी की मौत का बदला ले रहा है। कहानी बिना लाॅजिक के बढ़ी और खींची जाती है। अंत में सीक्रेट खुलता है जो बहुत प्रिडिक्टेबल होता है और इस तरह एक खराब रिवेंज ड्रामा का अंत हो जाता है। यहां Malang Public Review में देखिए फिल्‍म पर दर्शकों की राय।

क्या है अच्छा : कहानी में तो कुछ अच्छा था नहीं। चलो मान लेते हैं कि गोवा के लोकेशन काफी अच्छे थे और थोड़ी बहुत झकास कपूर की एक्टिंग।

क्या है बुरा: लंबी लिस्ट बन सकती है। एक खराब विषय का चयन, बी ग्रेड फिल्मों सा प्लॉट और खाली बैकग्राउंड में शोर मचा कर थ्रिलर दिखाने की नाकामयाब कोशिश, जरूरत से ज्यादा किरदार। एक विलेन और गजनी पहले ही हम देख चुके हैं फिर उसका एक और रूपांतर क्यों

अदाकारी : आदित्य रॉय कपूर जबरदस्ती की बॉडी दिखा कर अमिताभ बच्चन के जंजीर वाले हीरो बनने में एकदम नाकामयाब रहे हैं। आशिकी 2 मोड़ से बाहर आने की सख्त जरूरत, दिशा पटानी जब तक मुंह नहीं खोल रही थी, अच्छी लगीं। जुबान से क्योंकि उनके संवाद स्पष्ट सुनाई ही नहीं दे रहे थे। लेडी अमिताभ जंजीर वाली बनने का ट्राई अच्छा था। रिजल्ट अच्छे नहीं मगर। कुणाल खेमू ने लंबा ब्रेक लिया। लौटे तो कुछ नया ट्राई किया, अच्छी बात है। अनिल कपूर आपको भी नहीं लगता कि आपको अपने झकास कपूर वाले मूड से वापस आना होगा। अब आपका यह अंदाज बोर करने लगा है।

वर्डिक्ट : लोग गलतफहमी में शुरू में थियेटर जा सकते। मगर धीरे- धीरे फिल्म के रिव्यू बुरे ही आने वाले।

बॉक्स ऑफिस : 15 करोड़ के आसपास

रेटिंग : 1.5

Reviewd By : Anu

Posted By: Vandana Sharma