आगरा। यमुना मैली यूं ही नहीं हो रही। बल्कि इसके बड़ी वजह है। वह है जिला प्रशासन की लापरवाही और उदासीनता। एक ऐसा चौंकाने वाला सच 'आई नेक्स्ट' के सामने आया है, जो शहर वासियों के साथ सीधे तौर पर धोखा है। पब्लिक जो हाउस और वाटर टैक्स देती है, उस रकम से शहर में कूड़ा निस्तारण के लिए जमीन खरीदी जानी थी। जिला प्रशासन के भूमि अध्याप्ति विभाग को इसके लिए बतौर एडवांस 20 लाख रूपया भी दिया गया। लेकिन प्रशासनिक अफसरों ने इस रकम से भूमि अधिग्रहण की कार्रवाई करना उचित नहीं समझा। नतीजा ये हुआ कि पिछले 17 साल छह महीने से लगातार यमुना में कूड़ा फेंका जा रहा है। जिसका खामियाजा शहरवासियों को यमुना में प्रदूषण और नगर निगम को एनजीटी के अर्थदंड के रूप में झेलना पड़ा है।

डीएम को भेजा है लैटर

सबसे खास बात ये है कि नगर निगम कूड़ा निस्तारण के लिए बरौली अहीर में कूड़ा निस्तारण के लिए जमीन खरीदना चाहता था। जिला प्रशासन को नगर निगम को भूमि उपलब्ध करानी थी, इसके लिए नगर निगम ने बतौर एडवांस विशेष भूमि अध्याप्ति अधिकारी को वर्ष 1998 में 20 लाख रुपये दिए। जिला प्रशासन ने अभी तक न तो भूमि उपलब्ध कराई है और न ही धनराशि ही वापस की है। इस संबंध में अपर नगर आयुक्त ने डीएम को पत्र लिखकर अवगत कराया है।

सात हेक्टेयर भूमि अधिग्रहित होनी थी

ग्राम बरौली अहीर में कूड़ा निस्तारण के लिए 7.1849 हेक्टेयर भूमि का अधिग्रहण किया जाना था। विशेष भूमि अध्याप्ति द्वारा भूमि अधिग्रहण के संबंध में चार दिसंबर वर्ष 1998 में समाचार पत्रों में विज्ञापन जारी किया गया। भूमि अधिग्रहण के लिए 30 दिसंबर वर्ष 1998 कार्रवाही शुरू की गई। भूमि अधिग्रहण के लिए बतौर एडवांस 20 लाख का चैक (नंबर 985069) 31 दिसंबर 1998 को दिया गया।

Posted By: Inextlive