-हाईकोर्ट ने शहर से डेयरियों को बाहर बसाने के लिए निर्देश

-नगर निगम शहर से गोबर बाहर ले जाने की कर रहा बात

Meerut: नगर निगम हाईकोर्ट के आदेश का खुला मखौल बना रहा है। हाईकोर्ट ने शहर डेयरियों के लिए कैटल कालोनी बसाने के निर्देश दिए थे। बावजूद इसके आदेशों का अनुपालन तो दूर निगम केवल गोबर बाहर ले जाने की बात कर रहा है। ऐसे में निगम को न इस संबंध में आए शासनादेश की फिक्र है और न कोर्ट के उल्लघंन का डर।

ये है मामला

दरअसल, 24 जून 1998 को शासन ने डेयरी को लिए अलग से कैटल कालोनी बसाए जाने के आदेश किए थे। शासनादेश के मुताबिक एमडीए को अपनी किसी योजना में कैटल कालोनी के लिए जगह मुहैया करानी थी, लेकिन नगर निगम ने शासनादेश को ठेंगा दिखा दिखा दिया। इसको लेकर आरटीआई एक्टीविस्ट लोकेश खुराना ने इस बाबत हाईकोर्ट में पीआईएल दाखिल की। पीआईएल पर कोर्ट ने 22 सितंबर को शहर से बाहर कैटल कालोनी विकसित करने का आदेश दिए, लेकिन निगम अफसरों ने हाईकोर्ट के आदेश को भी हवा में उड़ा दिया। यहां हाईकोर्ट के आदेश के बावजूद डेयरी को बाहर ले जाने के बजाए निगम ने डेयरियों को गोबर बाहर ले जाने की घोषणा कर डाली।

डेयरी और गोबर का खेल

दरअसल, कैटल कालोनी न बनाने के पीछे नगर निगम का बहुत बड़ा हित छुपा है। शहर में इस समय 2200 डेयरियां हैं, जिनमें 30 हजार से अधिक पशु मौजूद हैं। शहर में सबसे सबसे बड़ी गंदगी का कारण ये डेयरियां हैं। शहर से इस गंदगी को हटवाने में नगर निगम हर साल 100 करोड़ से ऊपर की रकम खर्च करता है, जबकि यह बात छिपी नहीं है कि सफाई कार्यो में यूज होने वाली गाडि़यों के नाम पर डीजल आदि का बड़ा खेल किया जाता है। इस तरह से देखा जाए तो डेयरियों से निकलने वाली गंदगी निगम अधिकारियों की मोटी कमाई का जरिया है। यदि ये डेयरियां शहर से बाहर स्थापित कर दी जाएं तो निगम अफसरों की आय पर ताला लग जाएगा। इसलिए निगम कैटल कालोनी बसाने में कोई रुचि नहीं दिखा रहा है।

कैटल कालोनी को लिए एमडीए को जगह उपलब्ध करानी है। जगह मुहैया कराने में एमडीए ना नुकुर कर रहा है। ऐसे में डेयरियों को गोबर को शहर से बाहर ले जाया जाएगा।

डॉ। प्रेम सिंह, नगर स्वास्थ अधिकारी

कैटल कालोनी एमडीए की किसी कालोनी के फ्रेम में फिट नहीं होती। एमडीए के पास डेयरियों के लिए इतनी बड़ी तदाद में कही कमर्शियल लैंड नहीं है।

राजेश यादव, वीसी एमडीए

Posted By: Inextlive