एक्टर नवाजुद्दीन सिद्दीकी की मानें तो बॉलीवुड में स्ट्रग्लर होना सबसे टफ जॉब है. उनका कहना है कि लाइफ में उन्हें मिले रिजेक्शंस के चलते ही वह आज इतने स्ट्रॉन्ग बन सके हैं.

कई अपकमिंग शॉर्ट फिल्म्स में काम कर रहे नवाज ने बात की बी ग्रेड मूवीज देखकर बड़ा होने से लेकर इंडस्ट्री में अपनी जगह बना लेने के बारे में...
बात अगर एक्टिंग की करें तो आपकी सबसे बड़ी इंस्पिरेशन कौन रहे हैं?
मैं जैसी जगह (बुधना, उत्तर प्रदेश) से आता हूं वहां इंस्पिरेशन मिलना किसी लग्जरी की तरह है. वहां रहकर आप या तो किसान बनते हैं या डकैत और मैं दोनों ही नहीं बनना चाहता था. मेरे हाथ में बस इतना था कि मैं वहां से भाग निकलूं और मैंने ऐसा ही किया. बचपन के दिनों में मैं बी ग्रेड मूवीज बहुत देख करता था और दादा कोंडके मेरे फेवरिट थे. मुझे लगता है कि वह एक अंडररेटेड जीनियस हैं.
क्या टाइपकास्ट होने का डर आपको परेशान नहीं करता है?
नहीं, अब नहीं. सच तो यह है कि मेरे करियर को रफ्तार तब मिली जब लोगों ने मुझे किसी स्लॉट में ना रखकर अलग देखना शुरू किया. आज मैं मुन्नाभाई और सरफरोश में किए गए अपने पलक झपकते ही खत्म हो जाने वाले रोल्स से काफी आगे निकल आया हूं. वह फ्रस्ट्रेटिंग फेज बहुत पीछे रह गया है. आज मैं अलग अलग तरह के रोल्स चूज करने की फ्रीडम को एंज्वॉय कर रहा हूं.
यह आपके मेनस्ट्रीम सिनेमा से इंडी और फिर शॉर्ट फिल्म्स की तरफ स्विच करने से जाहिर भी होता है.
सच तो यह है कि हमारी आर्ट हमेशा एक जैसी रहती है, सिर्फ मीडियम चेंज हो जाता है. अगर कल को मुझे लगता है कि मुझे किसी स्ट्रीट प्ले का हिस्सा बनना चाहिए तो मैं ऐसा जरूर करूंगा. मैं स्टारडम का भार अपने ऊपर लेकर नहीं चलता हूं. ऐसा करने से अपने अंदर की आवाज को सुनना काफी आसान हो जाता है.

हाल ही में आपने कहा था कि आप सबसे ज्यादा पेमेंट पाने वाले एक्टर बनना चाहते हैं?
जी हां. मुझे हाइएस्ट पेड एक्टर बनना है, हाइएस्ट पेड स्टार नहीं. आज के वक्त में स्टार्स को अच्छी पेमेंट दी जा रही है, एक्टर्स को नहीं. मैंने आज तक जो कुछ भी किया है वह मुझे एक कम्फर्टेबल जोन में रखने के लिए काफी है. हालांकि तारीफ एक अलग चीज है और पैसा अलग. फॉच्युर्नेटली, मैं चूहों की इस दौड़ का हिस्सा नहीं हूं क्योंकि मेरी रेस खुद मुझसे है.
आपने इस इंडस्ट्री के कुछ बड़े नामों के साथ काम किया है, क्या आपके माइंड में डायरेक्टर्स को लेकर भी कोई विश लिस्ट है?
(थोड़ा पॉज लेने के बाद) मैं हमेशा ही इंडस्ट्री के यंग लोगों के साथ काम करने को प्रायोरिटी देता हूं. ये फिल्ममेकर्स, लो बजट और लिमिटेड रिर्सोसेज के बाद भी शानदार काम करते हैं. मुझे लगता है कि रोहित पांडे, श्लोक शर्मा, अर्निबन रॉय, नीरज घेवन और सिद्घार्थ गुप्ता जैसे न्यूकमर्स बहुत ही प्रॉमिसिंग यंगस्टर्स हैं. इन सभी ने अपनी शुरुआत शॉर्ट स्टोरीज से की है. आने वाले कुछ सालों में ये लोग ही डिसाइड करेंगे कि हमारा सिनेमा कैसा दिखेगा.
आखिर में, आपके बारे में कोई गॉसिप मिल पाना इतना मुश्किल क्यों है?
(हंसते हुए) इसके पीछे एक ही वजह है और वह यह कि मैं खुद को वैसा दिखाने की कोशिश नहीं करता हूं जैसा मैं हूं ही नहीं. भोंदू लगूंगा मैं. कूल लगने के लिए मैं वो चीजें नहीं करता जो लोग अकसर करते हैं. मैं ‘हे मैन!’ या ‘व्हॉट्सअप?’ जैसे वर्डस का यूज नही΄ करता. अगर आप किसी मूवी में मुझे ऐसा कोई कैरेक्टर करने को कहेंगे तो मैं यह आसानी से कर दूंगा पर रियल लाइफ में मुझे रियल रहना ही पसंद है. मैं जैसा हूं, वैसा ही सही हूं. मुझे नहीं लगता कि किसी को कूल दिखने के लिए खुद में किसी तरह के चेंजेस लाने चाहिए.

Posted By: Kushal Mishra