--दूसरी बीमारी के इलाज के लिए पहुंचे मरीजों में कोरोना पाए जाने पर कर देते हैं रेफर

--दूसरी बीमारी के इलाज के लिए पहुंचे मरीजों में कोरोना पाए जाने पर कर देते हैं रेफर

- अब राज्य सरकार ने निजी अस्पतालों के लिए तय किए प्रोटोकॉल

- सभी अस्पतालों को बनाने होंगे पांच से दस बेड का आइसोलेशन वार्ड

- सभी सिविल सर्जनों को अनिवार्य रूप से पालन कराने का सख्त निर्देश

रांची : राज्य में निजी अस्पताल कोविड-19 के मरीजों का इलाज करने से बच रहे हैं। अन्य बीमारी के इलाज के लिए वहां पहुंचे मरीजों में जैसे ही कोरोना संक्रमण की पुष्टि होती है, वे उन्हें रिम्स या अन्य सरकारी अस्पतालों में रेफर कर देते हैं। इससे पुरानी बीमारी का समय पर इलाज नहीं होने से मरीजों को ही नुकसान होता है। अब राज्य सरकार ने निजी अस्पतालों में ही ऐसे कोरोना मरीजों का इलाज सुनिश्चित करने का निर्देश दिया है। बकायदा इसके लिए प्रोटोकॉल तय किए गए हैं। अब कोविड-19 के मरीजों के इलाज से कन्नी काटने वाले निजी अस्पतालों को ऐसा करना महंगा पड़ेगा। निर्धारित प्रोटोकॉल का पालन नहीं करने पर उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।

सख्ती से हो पालन

स्वास्थ्य सचिव डॉ। नितिन मदन कुलकर्णी ने सभी सिविल सर्जनों को इस प्रोटोकॉल की जानकारी सभी निजी अस्पतालों को देने तथा उसका सख्ती से अनुपालन कराने का निर्देश दिया है। प्रोटोकॉल में कहा गया है कि निजी अस्पतालों को अनिवार्य रूप से कोविड-19 के मरीजों का भी इलाज करना होगा। इसके लिए 30 से 50 बेड वाले सभी निजी अस्पतालों को न्यूनतम पांच तथा 50 बेड से अधिक के अस्पतालों को दस बेड के आइसोलेशन वार्ड बनाने होंगे। सभी बेड पर ऑक्सीजन की व्यवस्था होगी तथा कम से कम दो वेंटिलेटर की व्यवस्था अनिवार्य रूप से करनी होगी। स्वास्थ्य सचिव ने कहा है कि ऐसा देखा गया है कि निजी अस्पताल कोरोना मरीजों का इलाज करने के लिए इच्छुक नहीं दिख रहे हैं। अस्पताल संभावित या पॉजीटिव मरीजों को तुरंत सरकारी अस्पताल में रेफर कर देते हैं। अस्पताल मरीजों की इच्छा भी नहीं जानते, जिससे उनके अधिकार का भी हनन हो रहा है। कुछ मामले में ऐसा भी देखा गया है कि कोविड-19 के संभावित मरीजों को बिना कोरोना संक्रमण की जांच की रिपोर्ट आए डिस्चार्ज कर दिया गया। साथ ही, इसकी जानकारी जिला प्रशासन को नहीं दी गई।

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निजी अस्पतालों को अब क्या-क्या करने होंगे :

- मरीजों की इच्छा और अधिकार का संरक्षण करना होगा। कोविड-19 मरीजों का इलाज उसी अस्पताल में होगा, जहां वह प्रारंभिक बीमारी के लिए भर्ती हुआ है।

- यदि किसी कोरोना मरीज को किसी सरकारी अस्पताल में रेफर करना अनिवार्य है, तो उसका कारण अनिवार्य रूप से बताना होगा तथा इसकी अविलंब सूचना जिला प्रशासन तथा संबंधित अस्पतालों को देनी होगी।

- जिला प्रशासन को सूचना दिए बिना किसी संभावित कोरोना संक्रमित मरीज को डिस्चार्ज नहीं किया जाएगा।

- सभी अस्पतालों को तुरंत रिपोर्टिग के अलावा प्रत्येक मंगलवार को कुल मरीजों, सैंपल की जांच तथा उसकी रिपोर्ट की जानकारी अनिवार्य रूप से देनी होगी।

- किसी भर्ती मरीज में कोरोना वायरस के संक्रमण की पुष्टि होने पर इसकी अविलंब जानकारी जिला प्रशासन को देनी होगी।

- आउटडोर में किसी मरीज में इन्फ्लूएंजा या सांस से संबंधित किसी बीमारी के लक्षण पाए जाने पर मरीज को कोरोना वायरस के संक्रमण की जांच की सलाह अनिवार्य रूप से दी जाएगी। साथ ही, मरीज के संबंध में पूरी जानकारी, उसका मोबाइल नंबर तथा पता जिला प्रशासन से शेयर किया जाए।

- यदि मरीज में कोरोना के लक्षण हैं, तो उसे तुरंत आइसोलेट करते हुए इसकी जानकारी जिला प्रशासन को दी जाएगी। यदि लक्षण नहीं है और वह घर में ही क्वारंटाइन में रहकर मैनेज कर सकता है, तो भी इसकी सूचना अनिवार्य रूप से जिला प्रशासन को दी जाएगी।

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Posted By: Inextlive