बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार अपने इरादों पर कायम रह पाए तो बिहार में पंचायत और निकाय चुनावों में वैसे लोग उम्मीदवार नहीं बन पाएंगे जिनके घरों में शौचालय नहीं हैं.


नीतीश कुमार ने मनरेगा और निर्मल भारत अभियान पर आयोजित कार्यशाला में यह ऐलान किया कि पंचायत और नगर निकाय चुनावों में उम्मीदवारों के लिए शौचालय अचल संपत्ति का होना ज़रूरी पात्रता का हिस्सा होगा.नीतीश का कहना है कि इसके लिए  मौजूदा क़ानून में संशोधन किया जाएगा.हालांकि नीतीश की घोषणा पर राज्य में अलग-अलग राय देखनी को मिल रही है.पंचायती व नगर क़ानून के विशेषज्ञ और प्रैक्सिस के कार्यक्रम प्रभाग के निदेशक अनिंदो बनर्जी के अनुसार राज्य का विषय होने के कारण मुख्यमंत्री की घोषणा क़ानून का हिस्सा बन सकती है.क्या बन पाएगा क़ानून?लेकिन वो आगे जोड़ते हैं कि बिहार की ज़मीनी स्थिति को देखते हुए ऐसा करना पंचायत और नगर निकायों में ग़रीब और कमज़ोर वर्ग के प्रतिनिधित्व को प्रभावित करेगा.


साथ ही अनिंदो ने यह भी बताया कि सरकार क़ानून में नए-नए प्रावधानों की बात तो कर रही है लेकिन उसने अब तक क़ानून के प्रभावी क्रियान्वन के लिए नियमावली तक तैयार नहीं की है.जानकारों के मुताबिक़ इससे पहले नीतीश सरकार ने यह पहल की थी कि मात्र दो बच्चों के अभिभावक ही स्थानीय चुनावों में हिस्सा ले सकेंगे लेकिन इसे व्यापक विरोध अैर विमर्श के बाद क़ानून का हिस्सा नहीं बनाया गया.

बिहार सरकार ने शौचालय निर्माण को बढ़ावा देने के लिए पुरस्कारों की भी घोषणा की है.दूसरी ओर ज़मीनी हक़ीक़त यह है कि बिहार में शौचालय निर्माण योजना कई तरह की चुनौतियों का सामना कर रही है.सामाजिक कार्यकर्ता राजीव रंजन कहते हैं, "शौचालय का सीधा संबंध मानव गरिमा और स्वास्थ्य, ख़ासकर बच्चों के स्वास्थ्य से है लेकिन जहां एक ओर इस योजना में भी व्यापक पैमाने पर भ्रष्टाचार है तो दूसरी ओर इंदिरा आवास योजना के तहत घर बनाने वालों के पास शौचालय बनाने के लिए अतिरिक्त ज़मीन नहीं होती है."राजीव रंजन आगे कहते हैं, "बिहार के गांवों में  सक्षम परिवार भी शौचालय की जगह घर में एक अतिरिक्त कमरा बनाना ज़्यादा पसंद करते हैं."नरेंद्र मोदी पर निशानास्वच्छता संबंधी कार्यक्रम भी राजनीति बयानबाजी से अछूता नहीं रहा.नीतीश कुमार ने भाजपा के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नरेंद्र मोदी का नाम लिए बग़ैर कहा कि अब कुछ लोग नारा लगा रहे हैं कि पहले शौचालय, फिर देवालय.उन्होंने याद दिलाया कि बिहार ने इसे 2007-08 से ही लागू कर दिया है और उनकी सेवा यात्रा के दौरान दिन में भी मशाल जला कर शौचालय निर्माण का संकल्प दिलाया जाता था.

नरेंद्र मोदी ने अक्टूबर में 'पहले शौचालय, फिर देवालय’ की बात कही थी और इस बयान की कुछ हिंदू संगठनों ने आलोचना भी की थी.

Posted By: Satyendra Kumar Singh