मुस्‍लिम धर्म में तलाक लेने के तरीके में बदलाव किए जाने की उठ रही चर्चाओं के बीच ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड और संबद्ध संगठनों ने इस पर विचार करने से साफ इंकार कर दिया है। बोर्ड का कहना है कि कुरान और हदीस के मुताबिक एक बार में तीन तलाक कहना हालांकि जुर्म है लेकिन इससे तलाक हर हाल में मुकम्मल माना जाएगा। बता दें कि कुछ मुस्‍लिम संगठनों द्वारा तीन बार कहे गए तलाक को सिर्फ एक बार कहा हुआ मानने की गुजारिश की थी। इसके पीछे तर्क था कि कई बार लोग गुस्‍से में एक साथ तीन बार तलाक बोल जाते हैं।


अखबारों से मिली सूचना आल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के प्रवक्ता मौलाना अब्दुल रहीम कुरैशी ने कहा कि अखबार में कुछ खबरें प्रकाशित हुई है जिससे यह पता लगा है कि आल इंडिया सुन्नी उलेमा काउंसिल ने देवबंदी और बरेलवी मसलक को खत लिखकर कहा है कि अगर इस्लामी कानून में गुंजाइश हो तो तीन बार तलाक कहे जाने को एक बार कहा हुआ माना जाए। कुरान के मुताबिक है यह
बोर्ड के प्रवक्ता ने यह भी कहा कि अखबार में प्रकाशित हुई खबरों में इस बदलाव के पीछे यह तर्क दिया जा रहा है कि पाकिस्तान समेत कई इस्लामी मुल्कों में ऐसी व्यवस्था लागू की गई है। हालांकि उन्होंने कहा कि हम मुस्लिम मुल्क नहीं बल्कि यह देखते हैं कि कुरान शरीफ, हदीस और सुन्नत क्या कहती है। वहीं इसके साथ ही बरेलवी मसलक के मुख्य केन्द्र दरगाह आला हजरत की मजहबी और समाजी मामलों की इकाई के महासचिव मौलाना शहाबउद्दीन ने बताया कि इस तरह की मांग पहले भी उठी है। हालांकि धर्मगुरूओं ने इस गुजारिश को स्वीकार नहीं किया था।

Posted By: Satyendra Kumar Singh