इन दिनों देशभर में चारों ओर गणेश चतुर्थी की जबरदस्‍त धूम है। ऐसे में हर शहर यहां तक की छोटे गांवों में भी लोगों ने भगवान श्रीगणेश्‍ा की प्रतिमा को विराजमान कराया है। पूरा देश इस समय गणेशोत्‍सव की धूम के साथ नाच-गा रहा है। बात भी सही है भगवान श्री गणेश हिंदू धर्म के ऐसे देवता हैं जिन्‍हें लगभग हर लेखक कलाकार बिजनेसमैन मानता है। इनकी प्रतिमा हर ऐसे व्‍यक्‍ित के पास आपको जरूर मिल जाएगी। आखिरकार विघ्‍नहर्ता को प्रथम पूज्‍य जो माना गया है। इस क्रम में यूरोपियन देश भी अछूते नहीं रहे हैं।


जापान है सबसे पहले सिर्फ यही नहीं भगवान गणेश की एक खासियत और है कि यही वो भगवान हैं जिनकी प्रतिमा आपको किसी के भी घर के पूजा स्थल के अलावा ड्रॉइंग रूम, कम्प्यूटर टेबल, स्टडी टेबल आदि जगहों पर मिल जाएगी। अब यहां जिक्र करें भगवान श्री गणेश की भारत से बाहर अराध्ाना का, तो इसमें कई देश शामिल हैं। इस क्रम में सबसे पहला नाम है जापान का। यहां लोग Kangiten की पूजा करते हैं। इनको भगवान श्री गणेश का ही रूप माना जाता है। इनके जापान में करीब 250 मंदिर हैं।   यहां ये रूप है प्रचलित


जापान के लोगों का ऐसा मानना है कि भगवान Kangiten सुख, शांति और समृद्धि प्रदान करने वाले हैं। वैसे इनका प्रतीक तो भगवान श्री गणेश को भी भारत में माना जाता है। इसके इतर चंद दिनों पहले ही ऑक्सफोर्ड पब्लिकेशंस की ओर से इस बात का दावा किया गया था कि आज से कई साल पहले मध्य एशिया में श्रीगणेश की पूजा होती थी। यहां भी होती है आराधना

सिर्फ यही नहीं बप्पा की मूर्तियां तो आपको अफगानिस्तान, म्यांमार, श्रीलंका, नेपाल, थाईलैंड, चीन, मंगोलिया, वियतनाम, बुल्गारिया, मैक्सिको और अमेरिका में भी मिल जाएगी। इसका साफ तात्पर्य है विघ्नहर्ता को पूजने वाले वहां भी हैं बड़ी संख्या में। यही नहीं बात अगर किसी भी आर्ट गैलरी या म्यूजियम की करें, तो वहां भी आपको इनकी मूर्ति देखने को मिल जाएगी।

Posted By: Ruchi D Sharma