सुभाष चन्द्र बोस के परिजनों ने की मुख्यमंत्री से मांग

किसी एजेंसी से गुमनामी बाबा के सामान की जांच का आग्रह

LUCKNOW: नेताजी सुभाष चन्द्र बोस के जीवन और मृत्यु से जुड़े राज जानने के लिए जल्द ही राज्य सरकार जांच करा सकती है। आजाद हिंद फौज के संस्थापक बोस के परिजनों ने हाल ही में कोलकाता से आकर मुख्यमंत्री अखिलेश यादव से मुलाकात की और उनके फैजाबाद में गुमनामी बाबा के बारे में किसी विशेषज्ञ एजेंसी से जांच कराने का अनुरोध किया। मालूम हो कि इस प्रकरण में हाईकोर्ट द्वारा रिटायर्ड जजों से जांच कराने का सुझाव भी दिया जा चुका है। वहीं राज्य सरकार भी फैजाबाद में गुमनामी बाबा का म्यूजियम बनाने जा रही है।

गुमनामी बाबा के बक्से में मिली थी तस्वीरें

फैजाबाद में गुमनामी बाबा के बक्सों में सुभाष चन्द्र बोस के परिवार की तस्वीरें और आरएसएस को लिखे गये पत्र मिलने के बाद यह आशंका जताई जा रही है कि गुमनामी बाबा ही सुभाष चन्द्र बोस थे। इसके अलावा आजाद हिंद फौज के इंटेलिजेंस विंग के अधिकारी पवित्र मोहन राय और सुनील कुमार गुप्ता द्वारा गुमनामी बाबा को भेजी गयी चिट्ठियां भी मिली। हालांकि इसके बाद भी गुमनामी बाबा की सही पहचान नहीं सकी है। नेताजी सुभाष चन्द्र बोस के बारे में पता लगाने की मुहिम 'मिशन नेताजी' चलाने वाले अनुज धर ने 'आई नेक्स्ट' से कहा कि बिना किसी विस्तृत जांच के यह पता लगाना मुश्किल है। यह राज्य सरकार पर निर्भर करता है कि वे किसे जांच सौंपते है।

मुखर्जी आयोग की रिपोर्ट में समानता की बात

मुखर्जी आयोग ने भी अपनी रिपोर्ट में भी पाया गया था कि फैजाबाद के गुमनामी बाबा और नेताजी सुभाष चंद्र बोस में काफी समानताएं थीं। गुमनामी बाबा 1955 में राजधानी के श्रृंगार नगर इलाके में भी आए थे। शुरू में उन्हें भगवानजी कहा जाता था, बाद में वे गुमनामी बाबा के नाम से प्रसिद्ध हो गए। राजधानी में करीब दो साल रुकने के बाद वे नेपाल सीमा पर चले गये। मुखर्जी आयोग की रिपोर्ट में जिक्र है कि उनसे मिलने कई प्रशासनिक अधिकारी भी आते थे। वे समय-समय पर अपना ठिकाना भी बदला करते थे।

Posted By: Inextlive