रियो ओलंपिक में सिंधू और साक्षी ने हाल ही में देश को दो पदक दिलाए हैं। अभी और पदकों की उम्‍मीद है लेकिन इस बीच एथलीट जैशा ने एक बड़ा खुलासा किया है जो अधिकारियों की लापरवाही का प्रमाण है। पानी की कमी के चलते वह मरते-मरते बची हैं। हालांकि इंडियन एथलीट के साथ असुविधाओं का यह कोई पहला मामला नहीं हैं। ऐसे में पदकों की राह थोड़ी कठिन दिखती है। आइए जानें अब तक कैसी-कैसी परेशानियों से गुजरे हैं एथलीट्स...


इकोनोमी क्लास में सफर: रियो ओलंपिक में 100 मीटर की दौड़ में देश का प्रतिनिधित्व करने वाली धाविका दुती चंद ने भी ऐसी वहां की अव्यवस्थाओं का खुलासा किया है। उन्हें हैदराबाद से रियो तक की यात्रा के दौरान काफी परेशानी हुई। विमान के इकोनोमी क्लास में सफर के दौरान लगातार बैठे रहने से वह काफी थक गई थीं। ऐसे में उनका कहना था कि खिलाड़ियों के लिए सरकार के पास क्या व्यवस्था करने तक की रकम भी नहीं है। अगर खिलाड़ियों को ऐसी ही परेशानियों का सामना करना होगा तो उनसे पदकों की उम्मीद करना थोड़ा कठिन है। कोई लेने नहीं आया:
रियो ओलंपिक में भाग लेकर लौटी स्टार तीरंदाज लक्ष्मी रानी मांझी के साथ जो हुआ वह तो और निराशा जनक रहा। लक्ष्मी के रांची पहुंचने पर खेल संघ या खेल विभाग द्वारा न स्वागत किया गया और न ही उसे घर पहुंचाने की व्यवस्था की गई थी। जिससे रांची स्टेशन पर लगभग डेढ़ घंटे रुकने के बाद वह भाड़े की गाड़ी से अपने घर घाटशिला के लिए निकली। लगभग चार घंटे की लंबी यात्रा के बाद यह ओलंपियन अपने घर पहुंची थी। अपने साथ हुए इस व्यवहार पर लक्ष्मी का कहना है कि अगर वह जीत के आती, तो परिस्थितियां बदली हुई रहतीं। हालांकि उसके लिए ओलंपिक में भाग लेना भी एक बड़ी उपलब्धि है। जर्सी पर नाम नहीं: रियो ओलंपिक में पहुंचे भारतीय बॉक्सरों को भी एक बार बड़ी चिंता में डूबना पड़ा। यहां पर इंटरनेशनल बॉक्सिंग एसोसिएशन ने इस बात का ऐलान किया था कि खिलाड़ियों की जर्सी पर इंडिया न लिखा होने से वे बाहर कर दिए जाएंगे। जिस पर खिलाड़ी काफी परेशान हो उठे थे। हालांकि बाद में इसके लिए अधिकारियों ने जल्द बाजी में व्यवस्था करना शुरू किया। ऐसे में साफ है कि जब एथलीट्स को लेकर खेल अधिकारी ऐसी लापरवाहियां कर रहे हैं तो एथलीट्स से पदकों की उम्मीद करना शायद गलत ही होगा।

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Posted By: Shweta Mishra