अपूर्व अग्रवाल को मिला चेयरमैन गोल्ड, पद्म भूषण डॉ। विजय कुमार सारस्वत ने रखी बात

आईआईआईटी में 12वें दीक्षांत समारोह का आयोजन

ALLAHABAD: आईआईआईटी का 12वां दीक्षांत समारोह शनिवार को आयोजित किया गया। मुख्य अतिथि पद्म भूषण डॉ। विजय कुमार सारस्वत, पूर्व महानिदेशक रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन एवं सदस्य नीति आयोग थे। समारोह की अध्यक्षता संस्थान में शासी मंडल के अध्यक्ष रविकांत ने किया। संस्थान के डायरेक्टर प्रो। पी। नागभूषण ने स्वागत भाषण दिया। चेयरमैन स्वर्ण पदक बीटेक इलेक्ट्रानिक्स कम्युनिकेशन इंजी। के अपूर्व अग्रवाल को प्रदान किया गया।

चैलेंज फेस करना सीखें

दीक्षांत समारोह में पद्म भूषण डॉ। विजय कुमार सारस्वत ने कहा कि वर्तमान और भविष्य टेक्नोलॉजी का है। इसमें बहुत स्कोप है। आज देश को आगे ले जाने की जरूरत है। स्पेसक्राफ्ट, रोबोटिक्स आर्टिफिसियल इंटेलिजेंस आदि में आगे बढ़ने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि लाइफ में जितने भी चैलेंजेस आयें, उन्हें फेस करिये। आंसुओं पर काबू पाना सीखिये।

आखिर लोग भूखे क्यों

डॉ। विजय कुमार सारस्वत ने डिजिटल इंडिया, स्मार्ट सिटीज, मेक इन इंडिया, उर्जा सुरक्षा, खाद्य सुरक्षा, कौशल विकास, पर्यावरण, जलवायु परिवर्तन आदि विषयों पर काम करने को समय की जरूरत बताया। उन्होंने कहा कि उत्कृष्ट प्रयास के बावजूद 30 करोड़ ग्रामीण भारतीय गरीबी रेखा के नीचे जीवन यापन कर रहे हैं। 83.3 करोड़ लोग गांव में निवास कर रहे हैं। उनका सकल घरेलू उत्पाद में योगदान मात्र 14-15 प्रतिशत है। 260 मिलियन टन से अधिक खाद्य भंडार होने के बाद भी लोग भूखे हैं। देश में 42 प्रतिशत पांच वर्ष से कम उम्र के बच्चे कूपोषण के शिकार हैं।

900 मिलियन तक इंटरनेट सेवा

डॉ। विजय कुमार सारस्वत ने बताया कि वर्ष 2025 तक मोबाइल इंटरनेट सेवायें 700 मिलियन से 900 मिलियन तक पहुंचने की संभावना है। अध्यक्षता कर रहे रविकांत ने कहा कि जब उन्हें डिग्री मिली थी तो ऐसा ही माहौल था। उन्हें भी इसी तरह का मोटिवेशन मिला था। उन्होंने कहा कि आने वाले समय में भारत दुनिया का सबसे युवा देश होगा। आप सभी उच्च शिक्षा ग्रहण कर देश के निर्माण में अहम योगदान देंगे। उन्होंने उपाधिधारकों को सपने साकार करने के लिये न्यू टेक्नोलॉजी की ओर मूव करने और लीडरशिप क्वालिटी डेवलप करने के लिये मोटिवेट किया। कार्यक्रम में 490 छात्र-छात्राओं को उपाधि प्रदान की गई। इसमें 114 छात्रायें शामिल रहीं। 22 छात्र- छात्राओं को पीएचडी की उपाधि दी गयी।

इन्हें मिला मेडल

बीटेक आईटी

स्वर्ण- स्वप्रिल सक्सेना, रजत- दीक्षांत गुप्ता, कांस्य- ओजूस्विनी अग्रवाल

बीटेक इलेक्ट्रानिक्स कम्युनिकेशन इंजी।

स्वर्ण- अपूर्व अग्रवाल, रजत- हिमांशु, कास्य- कृति वैश्य

एमबीए आईटी

स्वर्ण आयुषी तिवारी, रजत- आकृति गुप्ता, कास्य- आयुष तिवारी

एमटेक बायोमेडिकल इंजीनियरिंग

स्वर्ण- मेहुल अग्रवाल, रजत- कार्निका सिंह, कांस्य- जूही जायसवाल

एमटेक आईटी

स्वर्ण- पूजा श्रीवास्तव, रजत- दीक्षा अग्रवाल, कांस्य- गायत्री आर

एमटेक ईई

स्वर्ण- पटेल निकुंज कुमार, रजत- दीपिका गौड़, कांस्य- प्रितेश कुमार यादव

मेरे लिये कंट्री के लिये कंट्रीब्शन इम्पार्टेट

दीक्षांत समारोह में स्वर्ण पदक पाने से बेहद खुश नजर आ रही एमटेक बायोमेडिकल इंजीनियरिंग की मेहुल अग्रवाल मिशाइलमैन डॉ। एपीजे अब्दुल कलाम और रतन टाटा को खुद का रोल मॉडल मानती हैं। उन्होंने कहा कि दोनो में ही एक बात समान है। दोनो का जीवन सादा और विचार उच्च हैं। मेहुल ने कहा कि जो करना है आनेस्टी से करना है। मेरे लिये कंट्री के लिये कंट्रीब्यूशन इम्पार्टेट है। मेहुल के पिता दीपक अग्रवाल ज्वाइंट एक्साईज कमिश्नर हैं। उनकी इच्छा एकेडमिक लाइन में कॅरियर बनाने की है।

मैं शुरू करूंगा खुद का स्टार्ट अप

बीटेक इलेक्ट्रानिक्स एंड कम्यूनिकेशन के उपाधिधारक सुमित कुमार वर्मा सैमसंग इलेक्ट्रानिक के आर एंड डी विंग में साफ्टवेयर इंजीनियर के पद पर हैं। उनकी दिली इच्छा खुद का स्टार्टअप शुरू करने की है। उन्होंने कहा कि फ्रेंड्स के एक ग्रुप ने मिलकर प्लानिंग की है कि आने वाले दो तीन साल नौकरी के बाद वे इस काम को अंजाम तक पहुंचायेंगे। उन्होंने पीएम नरेन्द्र मोदी को खुद की प्रेरणा का श्रोत बताया।

स्कूल टीचर से हुआ मोटिवेट

बीटेक कंपलीट करके करेंट में टीसीएस में जॉब पा चुके सूरज प्रसाद गुरधपा गांव सीतापुर के रहने वाले हैं। उन्होंने कहा कि आपमें टैलेंट हैं तो आप गांव से बिलांग करें या किसी मेट्रो सिटी से, आपको आगे जाने से कोई रोक नहीं सकता। सूरज ने बताया कि उन्होंने जवाहर नवोदय विद्यालय खैराबाद सीतापुर से पढ़ाई की। उस समय उनके एक हिस्ट्री के टीचर थे। जिन्हें सिविल सर्विसेस के इंटरव्यू में 08 बार असफलता हाथ लगी। लास्ट बार वे इंटरव्यू में 05 नम्बर से फेल हुये। उनका हौसला देखने के बाद ही मैं आईआईआईटी तक का सफर तय कर सका।

बाबा ने बनाया जिद्दी

जौनपुर की आयूषी तिवारी का बाबा एडवोकेट स्वर्गीय गोपाल नारायण तिवारी से गहरा लगाव है। एमबीए में गोल्ड मेडल पाने वाली आयूषी कहती हैं कि आज मैं जो कुछ हूं अपने बाबा के कारण हूं। माता-पिता की उनको बड़ा करने में भूमिका है पर सफलता के लिए जिद्दी होना और संस्कार व जीवन मूल्य उन्हें बाबा ने ही सिखाये। आयुषी ने बताया कि उसका लक्ष्य एकेडमिक्स में जाना है। फिलहाल वह एक कंपनी में साल्यूशन कंसल्टेंट के पद पर कार्यरत है। अब वह पीएचडी की तैयारी करेंगी। आयुषी का मानना है कि एक शिक्षक के रूप में आप समाज और देश की ज्यादा अच्छी तरह सेवा कर सकते हैं। आयुषी के पिता तरुण कुमार तिवारी सत्र एवं जिला न्यायालय जौनपुर में अधिवक्ता हैं। मां सुनीता तिवारी गृहिणी हैं।

Posted By: Inextlive