ट्रंप एडमिस्ट्रेशन के एच-1बी वीजा पॉलिसी में बदलाव के प्रपोजल से अमेरिका में नौकरी करने वाले 75 हजार भारतीयों की नौकरी खतरे में आ सकती है। सॉफ्टवेयर इंडस्ट्री की संस्था नैस्कॉम ने इसे लेकर चिंता जताई है। आने वाले दिनों प्रस्तावित बदलावों पर बातचीत हो सकती है। दूसरी ओर अमेरिकन युवाओं को प्रियॉरटी देने के लिए ट्रंप एडमिनिस्ट्रेशन बाय अमेरिकन 'हायर अमेरिकन' की पॉलिसी के तहत चल रहा है।


भारतीयों का एच-1बी एक्सटेंड नहीं होगाडिपार्टमेंट ऑफ होमलैंड सिक्यॉरिटी (डीएचएस) का ये प्रपोजल उन विदेशी वर्करों को अपना एच-1बी वीजा रखने से रोक सकता है जिनके ग्रीन कार्ड आवेदन अटके हुए हैं। इसमें से बड़ी संख्या भारतीय पेशेवरों की है। ट्रंप सरकार के फैसले से अमेरिका में हजारों भारतीय नौकरीपेशाओं का एच-1बी एक्सटेंड नहीं होगा क्योंकि अमेरिका में स्थायी निवास की इजाजत के लिए उनके ग्रीन कार्ड एप्लीकेशन अभी अटके हैं। अगर ये नियम लागू हो जाता है तो 50 से 75 युवा इस फैसले की चपेट में आ सकते हैं। भारतीयों के अलावा दूसरों देशों के युवाओं को भी अमेरिका छोडऩा पड़ सकता है।एच1बी वीजा पर बोले सुनील मित्तल, क्या भारत फेसबुक, व्हाट्सएप को बंद कर देक्यों बदलने पड़ रहे हैं एच-1बी वीजा पर नियम?


दरअसल, अमेरिका में बढ़ती बेरोजगारी को दूर करने के लिए एच-1बी के रूल्स को सख्त बनाने की बात कही जाती रही है। अमेरिकी प्रेसिडेंट चुनाव में भी डोनॉल्ड ट्रंप ने इस बात का मुददा उठाया था। उन्होंने युवा अमेरिकी नौकरी पेशेवरों को नौकरी में प्रियॉरटी देने की बात कही थी। चुनाव जीतने के बाद ट्रंप एडमिनिस्ट्रेशन लगातार बाय अमेरिकन, हायर अमेरिकन की पॉलिसी अपना रहा है। माना जाता है कि कई कंपनियां दूसरे देशों से कम सैलरी पर वर्कर अमेरिका में ले लाती हैं। भारतीय इस मामले में सबसे आगे हैं। इससे अमेरिकन को नौकरी मिलने के मौके कम हो जाते हैं और बेरोजगारी बढ़ती है। चुनाव जीतने के बाद ट्रंप एडमिनिस्ट्रेशन ने एक पॉलिसी मेमोरेंडम जारी किया था। इसमें कहा गया था कि कम्प्यूटर प्रोग्रामर्स एच-1बी वीजा के लिए एलिजिबल नहीं होंगे।यूएस में जॉब का सपना होगा सचक्या है एच-1बी वीजा?

एच-1बी वीजा एक नॉन-इमिग्रेंट वीजा है। इसके तहत अमेरिकी कंपनियां विदेशी थ्योरिटिकल या टेक्निकल एक्सपट्र्स को अपने यहां रख सकती हैं। इस वीजा के तहत आईटी कंपनियां हर साल हजारों इम्प्लॉइज की भर्ती करती हैं। यूएस सिटिजनशिप एंड इमिग्रेशन सर्विसेज (यूएससीआईएस) जनरल कैटेगरी में 65 हजार फॉरेन इम्प्लॉइज और हायर एजुकेशन (मास्टर्स डिग्री या उससे ज्यादा) के लिए 20 हजार स्टूडेंट्स को एच-1बी वीजा जारी करता है। अप्रैल 2017 में यूएससीआईएस ने 1 लाख 99 हजार एच-1बी पिटीशन रिसीव कीं। अमेरिका ने 2015 में 1 लाख 72 हजार 748 वीजा जारी किए, यानी 103 परसेंट ज्यादा। अमेरिका हर साल 85,000 नॉन-इमिग्रंट एच-1बी वीजा जबकि 65,000 विदेशियों को विदेशों में नियुक्ति और अमेरिकी स्कूल-कॉलेजों के अडवांस डिग्री कोर्सेज में दाखिले के लिए 20,000 लोगों को वीजा प्रदान करता है। इसमें सबसे ज्यादा संख्या भारतीयों की ही होती है।लाखों कमाने वाला ये IT Manager खेती करने हर हफ्ते जाता है अपने गांव

Posted By: Satyendra Kumar Singh