मरियम वाईथारा को मोतियाबिंद था. उनका इलाज हो चुका है. अब वह देख सकती हैं.


मरियम वाईथारा की आँखों में मोतियाबिंद उतर आया था और उन्हें दिखाई देना लगभग बंद हो गया था.मरियम कीनिया में एक दूरदराज़ के एक गरीब गाँव में रहती हैं. गाँव के आस पास के इलाके में एक ही डॉक्टर है और डॉक्टर को दिखाने के लिए भी बहुत दूर जाना पड़ता है.विश्व स्वास्थ्य संगठन का कहना है कि पूरी दुनिया में 28 करोड़ 50 लाख लोगों को दिखता नहीं है या फिर उनकी नज़र कमजोर है.कई बार  आँखों की परेशानी का कारण बहुत मामूली और इलाज बेहद आसान होता है. एक चश्मा पहनने से या मोतियाबिंद के ऑपरेशन से नज़र ठीक हो सकती है.ऐसा माना जाता है कि आँखों की तकलीफ के हर पाँच में से चार मामले ठीक किए जा सकते हैं.'ज़रूरत'


वो 'पीक' (पोर्टेबल आई एग्ज़ामिनेशन किट) नाम के एक  स्मार्टफ़ोन ऐप का कीनिया के 5,000 लोगों पर परिक्षण कर रहे हैं.इस स्मार्टपोन ऐप तकनीक में मोतियाबिंद की जांच के लिए मोबाइल फ़ोन का कैमरा प्रयोग में लाया जाता है.मोबाइल की स्क्रीन पर बड़े से छोटे होते अक्षरों के सहारे आँखों के देखने की क्षमता की साधारण जाँच की जाती है.

मोबाइल की फ़्लैश लाइट की मदद से आँखों के पीछे के रेटिना वाले हिस्से की जाँच की जाती है.इसके बाद मरीज़ के बारे में जानकारी मोबाइल में दर्ज हो जाती है और जीपीएस के माध्यम से उसकी मौजूदगी की वास्तविक जगह का पता भी लग जाता है.ये जानकारियाँ ईमेल से डॉक्टरों को भेजी जा सकते हैं.सस्ता उपायअभी तक दोनों तरह की तस्वीरों की तुलना का शोध पूरा नहीं हो पाया है लेकिन शोधकर्ता टीम का कहना है कि शुरूआती नतीजे अच्छे आए हैं.लगभग 1,000 लोगों को अभी तक किसी न किसी तरह का उपचार मिल गया है.डॉक्टर बस्तावरस कहते हैं, "हम इस मोबाइल के साथ अपने तकनीशियन घर-घर भेज सकते हैं, मरीजों के घर पर ही जांच कर के उनकी परेशानी का पता लगाया जा सकता है."इस योजना को शुरूआती चरण में ही बेहद सराहना मिल रही है.अंधापन रोकने वाली अंतर्राष्ट्रीय एजेंसी के पीटर ऑकलैंड कहते हैं, "मुझे लगता है कि पीक टूल से आँखों के इलाज में बड़ा बदलाव आने की संभावना है."

Posted By: Satyendra Kumar Singh