सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को अपने एक फैसले में कहा कि रिटायरमेंट के बाद पेंशन मुसीबत में काम आने वाली जरूरी चीज है न कि इनाम या उपहार जिसे मन करे तो दे दिया या बंद कर दिया। सामाजिक खुशहाली के लिए रिटायरमेंट के बाद कर्मचारियों को सम्मानपूर्वक जीवन के लिए पेंशन अनिवार्य है।


नई दिल्ली (पीटीआई)। सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि रिटायर हो चुके सरकारी कर्मचारी को बुढ़ापे में सम्मान से जीने के लिए जरूरी है। इसका लाभ देने से सरकार अकारण मना नहीं कर सकती। 32 साल तक सरकारी विभाग के साथ काम कर चुका एक कर्मचारी पिछले 13 सालों से पेंशन का दावा कर रहा था। जस्टिस एसके कौल के नेतृत्व में सुप्रीम कोर्ट की एक पीठ ने केरल सरकार को उसके कैजुअल वर्कर के तौर पर किए गए काम को पेंशन का लाभ देने के लिए सेवा अवधि में जोड़ा जाए।पेंशन देते वक्त समाज कल्याण को ध्यान में रखें
जस्टिस अजय रस्तोगी और अनिरुद्ध बोस ने फैसले में कहा कि कैजुअल लेबर रोल पर काम करने वालों की सेवा को भी पेंशन लाभ के लिए जोड़ा जाना चाहिए। पीठ ने याची के ब्याज सहित पेंशन के एरियर के भुगतान के लिए केरल सरकार को आठ सप्ताह का समय दिया है। 2010 से लंबित पड़े इस विवाद का निपटारा कर दिया। सुप्रीम कोर्ट ने फैसले में कहा कि सरकारों को पेंशन के मामलों को सामाज कल्याण को ध्यान में रखकर उदारता से निपटाना चाहिए। इसका मतलब यह नहीं कि नियमों से इतर कुछ दे दिया जाए। लेकिन पेंशन देते वक्त यह ध्यान रखना चाहिए कि अकारण किसी तकनीकी जाल में फंसा कर किसी का पेंशन रोक दिया जाए।

Posted By: Satyendra Kumar Singh