ऑस्ट्रेलिया के पूर्व कप्तान रिकी पॉन्टिंग ने 'मंकीगेट' मामले में सचिन तेंदुलकर की भूमिका पर सवाल उठा कर फिर से ये मामला सुर्खियां में ला दिया है.


अपने वृतांत 'दी क्लोज़ ऑफ प्ले' में पॉन्टिंग ने लिखा है कि वो समझ नहीं पाए कि क्यों तेंदुलकर ने इस मामले में सुनवाई के दौरान हरभजन का साथ दिया जबकि वे उस समय कुछ नहीं बोले जब मैच रेफ़री माइक प्रॉक्टर ने हरभजन को ऑलराउंडर एंड्रयू साइमंड्स के खिलाफ नस्लवादी टिप्पणी करने के लिए निलंबित कर दिया था.ये मामला साल 2008 का है जब सिडनी में दोनों देशों के बीच टेस्ट मैच चल रहा था. हरभजन पर आरोप लगे थे कि उन्होंने साइमंड्स पर नस्लवादी टिप्पणी की थी जिसके बाद उनपर तीन टेस्ट खेलने का प्रतिंबंध लगा दिया गया था.अपीलइसके बाद उस वक्त अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट परिषद (आईसीसी) के कमिश्नर जस्टिस जॉन हेंसन के समक्ष एडिलेड में हरभजन की अपील सुनी गई थी और उन पर से प्रतिबंध हटा लिया गया था. लेकिन उन्हें मैच की आधी फ़ीस का जुर्माना भरने को कहा गया था.


इस मामले में सुनवाई के लिए तेंदुलकर भी पेश हुए थे और उन्होंने भारत के पक्ष में बयान दिया था.

पॉन्टिंग पहले क्रिकेटर नहीं है जिन्होंने इस मामले तेंदुलकर की भूमिका पर सवाल उठाए हैं. रिटायर हो चुके विकेट कीपर एडम गिलक्रिस्ट ने भी पांच साल पहले लिखी अपनी आत्मकथा में ऐसे ही विचार रखे थे.उन्होंने अपने इस वृतांत में उस दिन घटी घटना को याद करते हुए लिखा है कि उन्हें काफी ख़राब लगा था कि जब हरभजन पर इस मामले में केवल जुर्माना लगाया गया था जिसके बाद दोनों देशों के बीच रिश्ते ख़राब होने का ख़तरा भी पैदा हो गया था.पॉन्टिंग ने अपनी इस किताब में लिखा है कि इस मामले के नतीजे पर कई हफ़्तों और महीनों तक विचार विमर्श के बाद मैंने ये सोचना शुरु किया कि खेल से बाहर की राजनीति को मुझे समझने की और ज़रुरत हैं.

Posted By: Subhesh Sharma