-13 दिनों के भीतर सात लोगों ने फंदे से झूलकर दी जान

-पोस्टमार्टम से लेकर अंतिम क्त्रिया कर्म कराने की जिम्मेदारी

GORAKHPUR- लॉकडाउन के दौरान सुसाइड की बढ़ती घटनाओं ने पुलिस की टेंशन बढ़ा दी है। पब्लिक को राशन और भोजन पैकेट उपलब्ध कराने वाली पुलिस घटनाओं की सूचना पर दौड़भाग कर रही है। 13 दिनों के भीतर अलग-अलग जगहों पर सात लोगों ने फंदे से झूलकर जान गवां दी। एक ने जहर खाकर जान देने की कोशिश की। हालांकि इन सभी घटनाओं का लॉकडाउन से कोई संबंध नहीं है। लेकिन फिर भी पुलिस की जिम्मेदारी बढ़ गई है। डेड बॉडी के पोस्टमार्टम कराने से लेकर उनके दाह संस्कार कराने की जिम्मेदारी पुलिस उठा रही है। पुलिस अधिकारियों का कहना है कि डिप्रेशन में आकर ही लोग आत्मघाती कदम उठाते हैं। फिलहाल पुलिस इन मामलों की जांच पड़ताल में जुटी है।

खुद को अकेला पाकर दे दी जान

23 मार्च को पहले दिन जनता कफ्र्यू के बाद लॉकडाउन शुरू हुआ। दो दिनों तक सब कुछ ठीकठाक रहा। इसके बाद सुसाइड की सूचनाएं आने लगीं। सुसाइड करने वाले ज्यादातर लोगों ने फंदे बनाकर अपनी जान दी। घटनाओं की जानकारी मिलने पर पुलिस की दौड़भाग बढ़ गई। परिजनों से पूछताछ में पता लगा कि सुसाइड करने वाले पहले से डिप्रेशन में थे। घर में खुद को अकेला पाकर उन्होंने खुदकुशी कर ली। रविवार को गीडा एरिया के खानिमपुर में 13 साल की किशोरी ने तब फांसी का फंदा लगाया जब उसकी मां चौराहे पर गैस सिलेंडर लेने गई थी। उसके भाई भी घर में मौजूद नहीं थे। चिलुआताल एरिया के मोहरीपुर में एक किशोरी शनिवार की रात घर में फंदे से झूल गई। उस समय फैमिली मेंबर्स गहरी नींद में सो रहे थे। सुबह नींद खुली तो उसे लटकते हुए देखकर लोगों ने शोर मचाया।

क्या कहते हैं एक्सपर्ट

गोरखपुर यूनिवर्सिटी में साइकोलॉजी डिपार्टमेंट के प्रोफेसर डॉ। धनंजय ने बताया कि डिप्रेशन की वजह से लोग सुसाइड करते हैं। लोगों के भीतर हीन भावना, खुद को उपेक्षित समझने जैसे विचार जब मन में आने लगते हैं तो जिंदगी जीने की इच्छा खत्म होने लगती है। लोगों को जब लगने लगता है कि वह अकेले हो गए हैं, उनकी कोई अहमियत नहीं है तो ऐसा कदम उठा लेते हैं। स्डटीज में पहले भी ऐसी वजहें सामने आ चुकी हैं।

इन कंडीशंस में दें ध्यान

- डिप्रेशन में बिहेवियर अजीब सा हो जाता है। लोग छोटी-छोटी बात पर परेशान होने लगते हैं। किसी की बात पर विश्वास न करना भी डिप्रेशन का लक्षण है। इसमें ऐसी चीजों से भी लोग दूर होना शुरू कर देते हैं जो उन्हें खुशी देती हैं। किसी से बिल्कुल मिलने का मन नहीं करता है।

- अचानक वजन बढ़े या घटे तो ध्यान दें। हो सकता है ये डिप्रेशन हो। इसके अलावा नींद ना आना, रात को सोते-सोते अचानक जग कर बैठ जाना सभी डिप्रेशन के लक्षण हैं। चिड़चिड़ापन भी इसका शुरुआती संकेत है।

- आत्महत्या का ख्याल आने लगना, अकेले होने पर जीने की इच्छा न होने या फिर सुसाइड करने के तरीके ध्यान में आना भी डिप्रेशन है।

- डिप्रेशन के शिकार लोगों को एंजाइटी होने लगती है, छोटी-छोटी बातों पर पैनिक करना या फिर अचानक से निराश हो जाना इस बीमारी का लक्षण है।

- बहुत ज्यादा थकान रहना या फिर जरा काम करने से थकान होना भी डिप्रेशन होने का लक्षण है, काम पर फोकस न कर पाना भी इसका लक्षण है।

- किसी बात के लिए बहुत ज्यादा पछतावा होना, निराश महसूस करना और आत्मग्लानि होना भी डिप्रेशन का लक्षण है।

हाल के दिनों में हुई घटनाएं

5 अप्रैल 2020 - गीडा एरिया के खानिमपुर में 13 साल की किशोरी ने सुसाइड किया। वह सातवीं क्लास की स्टूडेंट थी।

4 अप्रैल 2020 - चिलुआताल एरिया के मोहरीपुर में 14 साल की किशोरी फंदे से झूल गई। रविवार की सुबह घर वालों को जानकारी हुई।

3 अप्रैल 2020 - पिपराइच के सरंडा में 30 साल के युवक की मौत, परिजनों ने खुदकुशी करने की आशंका जताई।

2 अप्रैल 2020 - गोला एरिया में एक व्यक्ति ने जहर खाकर जान देने का प्रयास किया। जानकारी होने पर परिजन आनन-फानन में अस्पताल ले गए।

30 मार्च 2020 - गगहा एरिया के मझगावां में फंदे से झूलती युवक की डेड बॉडी मिली। वह बीमारी से काफी दिनों से परेशान था।

27 मार्च 2020 - गगहा एरिया के टीकर में टीचर ने सुसाइड कर लिया। लोगों ने पुलिस को बताया कि वह फैमिली प्रॉब्लम से जूझ रहे थे।

27 मार्च 2020 - झंगहा एरिया के लक्ष्मणपुर में 20 साल के युवक ने छत की कुंडी में फंदा लगाकर जान दे दी।

25 मार्च 2020 - झंगहा एरिया के लक्ष्मीपुर में युवक की डेड बॉडी पेड़ से झूलती मिली। वह लॉकडाउन के पहले बंगलूरू से कमाकर लौटा था।

Posted By: Inextlive