सच ही कहा जाता है कि मंजिले उन्हीं को मिलती हैं जिनके सपनो में जान होती है पंखो से कुछ नहीं होता हौसलों से उड़ान होती है...हाल ही में इस बात को प्राची सुखवानी इसका उदाहरण पेश किया है। प्राची ने उन हालातों में देश के सबसे टॉप मैनेजमेंट इंस्टीट्युट आईआईएम में दाखिला लिया। जिनमें लोग जीने की उम्‍मीद भी छोड़ देते हैं। ऐसे में आइए जानें अपनी हिम्‍मत के बल पर समाज में मिसाल बनने वाली प्राची सुखवानी के बारे में...


मसक्युलर डिसट्रॉफी जी हां 21 साल की प्राची सुखवानी आज समाज के लिए मिसाल हैं। उन्होंने यह साबित कर दिया कि इंसान कुछ भी चाह ले उसे हासिल कर सकता है। प्राची मसक्युलर डिसट्रॉफी जैसी गंभीर बीमारी से पीड़ित हैं। वह इस बीमारी से तब से जूझ रही है जब तीसरी क्लास में पढ़ती थी। तब से ही उनकी आंखों की रोशनी धीरे-धीरे जा रही थी। आज उनकी आंखों की करीब 80% प्रतिशत रोशनी जा चुकी है। सबसे खास बात तो यह है कि इसका कोई परमानेंट ट्रीट्रमेंट भी उपलब्ध नहीं है। इतनी परेशानियों के बाद भी प्राची ने अपने सपनों को पूरा करने का हौसला नहीं छोड़ा। टीवी एंकर्स की कहानी कोई खबर देते रो पड़ी तो किसी ने सुनाई अपने ही पति की मौत की खबरएक एनजीओ खोलेगी
प्राची का सपना था कि वह देश के सबसे टॉप मैनेजमेंट इंस्टीट्युट आईआईएम अहमदाबाद से पढाई करे। जिससे वह काफी तकलीफों के बाद लगातार मेहनत करती रहीं। इसके बाद साल 2016 में प्राची ने कैट (कॉमन एप्लिट्यूड टेस्ट) पास किया। इसमें उन्हें 98.55 फीसदी अंक हासिल हुए। वहीं कपड़े की दूकान चलाने वाले प्राची के पिता अपनी बेटी की इस उपलब्धि से बेहद खुश हैं। एलआईसी एजेंट के तौर पर काम करने वाली प्राची की मां का कहना है कि उनकी बेटी काफी हिम्मती है। वह कभी भी मायूस नहीं हुई है। प्राची का सपना है कि वह आगे चलकर दृष्टीहीन लोगों के लिए एक एनजीओ खोलेगी।रोजाना इस्तेमाल होने वाली वो चीजें जो अगले 50 साल बाद नहीं दिखेंगी

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Posted By: Shweta Mishra