रसियन डाइरेक्ट इनवेस्टमेंट फंड आरडीआईएफ और डाॅ. रेड्डीज लैब्रटोरीज लिमिटेड ने स्पूतनिक वी वैक्सीन का भारत में ट्रायल के लिए करार किया है। बुधवार को डाॅ. रेड्डीज ने कहा कि नियामक से हरी झंडी मिलने के बाद आरडीआईएफ डाॅ. रेड्डीज को वैक्सीन की 1 करोड़ डोज की आपूर्ति करेगी।


हैदराबाद (पीटीआई)। डाॅ. रेड्डीज ने कहा कि स्पूतनिक वी वैक्सीन काे सही तरीके से शोध करके विकसित किया गया है। यह मानव के लिए सुरक्षित है। कोरोना वायरस महामारी में इसका ट्रायल चल रहा है। इस वैक्सीन का भारत में सफलतापूर्वक परीक्षण और भारत के नियामक द्वारा पंजीकरण के बाद 2020 के अंत से वैक्सीन की आपूर्ति शुरू होने की संभावना है। आरडीआईएफ के सीईओ किरिल दिमित्रीक ने कहा कि वे भारत में डाॅ. रेड्डीज के साथ साझेदारी करके प्रसन्न हैं।रूस में 25 साल से डाॅ. रेड्डीज कर रही कारोबार
दिमित्रीक ने कहा कि रूस में डाॅ. रेड्डीज की पिछले 25 सालों से उपस्थिति है। यह कंपनी वहां अच्छी तरह स्थापित और सम्मानित है। यह भारत की एक अग्रणी दवा कंपनी है। उनका कहना था कि कोविड-19 से भारत बुरी तरह प्रभावित हुआ है। उम्मीद है कि हमारी वैक्सीन भारत को कोविड-19 से लड़ने में मदद करेगी। कोरोना वायरस से लड़ने के लिए आरडीआईएफ अपने साझीदार को सुरक्षित और प्रभावशाली दवा उपलब्ध कराने में पूरी मदद करेगा।डाॅ. रेड्डीज के एमडी ने साझेदारी पर खुशी जाहिर की


दिमित्रीक ने कहा कि ह्यूमन एडिनोवायरल वेक्टर्स प्लेटफार्म रूसी वैक्सीन का आधार है, जिसके तहत दशकों से अधिक समय के दौरान 250 से अधिक क्लीनिकल शोध किए जा चुके हैं। इसने इस वैक्सीन को सुरक्षित पाया है। इसमें लंबे समय तक कोई नकारात्मक असर नहीं है। डाॅ. रेड्डीज लैब्रटोरीज के सह अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक जीवी प्रसाद ने कहा कि भारत में वैक्सीन लाने के लिए कंपनी को आरडीआईएफ के साथ पार्टनरशिप करके खुशी है।भारतीय आबादी पर वैक्सीन के असर के लिए ट्रायलउन्होंने कहा कि पहले और दूसरे चरण के क्लीनिकल ट्रायल के नतीजे उत्साहजनक आए हैं। भारतीय आबादी पर वैक्सीन के प्रभाव और सुरक्षा को देखते हुए हम वैक्सीन के तीसरे चरण के ट्रायल भारत में कराएंगे। यह ट्रायल भारतीय नियामक के मानकों के मुताबिक करवाए जाएंगे। भारत में कोविड-19 से लड़ाई में स्पूतनिक वी वैक्सीन विश्वसनीय विकल्प मुहैया कराएगी।कोविड-19 से लड़ने को दुनिया की पहली वैक्सीनस्पूतनिक वी वैक्सीन का विकास गैमलेया नेशनल रिसर्च इंस्टीट्यूट ऑफ एपिडेमियोलॉजी और माइक्रोबाॅयोलाॅजी द्वारा किया गया है। 11 अगस्त को रूस के स्वास्थ्य मंत्रालय ने वैक्सीन का पंजीकरण को मंजूरी दी थी। मंत्रालय की मंजूरी के साथ ही यह दुनिया की पहली पंजीकृत वैक्सीन बन गई। कोविड-19 की लड़ाई में यह दुनिया की पहली वैक्सीन है जो ह्यूमन एडिनोवायरल वेक्टर्स प्लेटफार्म पर आधारित है।

Posted By: Satyendra Kumar Singh