ISIS के चंगुल से छूटे दो शिक्षकों ने सुनाई अपने रिहा होने की ऐसी दास्तां
...और अचानक बदल गया सब कुछ
आतंकियों के चंगुल से रिहा किए गए विजय कुमार ने बताया कि उन चारों को एक छोटे से अंधेरे कमरे में बंद किया गया था। वहां उनको सिर्फ गाड़ियों के आने-जाने की आवाज सुनाई दे रही थी। उन्होंने बताया कि अक्सर ISIS के आंतकियों के बर्ताव के बारे में जो भी कुछ सुना था, वह ख्याल उनको लगातार परेशान कर रहा था। इसके तीन घंटे के बाद एक आदमी उनके कमरे में आया। उसने उन लोगों के नाम, धर्म और पेशे के बारे में पूछा। उसके पूछने पर जब उन्होंने उसको बताया कि वह सिर्त यूनिवर्सिटी में टीचर हैं, तो वैसे ही अचानक सब कुछ बदल गया।
आतंकियों के मुखिया ने बोला ऐसा
आतंकियों के मुखिया ने अपना नाम शेख बताया। शेख ने किसी को फोन करके अरबी भाषा में बात की। उसके बाद उसका लहजा ही बदल गया। शेख ने जब फोन पर सामने वाले को बताया कि वह एक टीचर हैं। ऐसा सुनते ही सामने वाले ने जो भी कुछ बोला, उसे सुनकर शेख ने कहा कि ठीक है, वह टीचर को कुछ नुकसान नहीं पहुंचाएंगे और उनका ख्याल भी रखेंगे। इसके बार शेख उनकी तरफ मुड़ा और बोला कि वे टीचर्स की बहुत ज्यादा इज्जत करते हैं। इसके आगे उसने कहा कि तुम लोगों ने लीबियाई बच्चों को बहुत कुछ सिखाया है। शेख बोला कि वह उनको हथकड़ी भी नहीं पहनाएंगे, न ही उनकी आंखों पर पट्टी बांधेंगे।
दूसरे भारतीय लक्ष्मीकांत ने बताया
ISIS के चंगुल से छोड़े गए दो भारतीयों में से एक लक्ष्मीकांत ने बताया कि उन्होंने आतंकियों को बताया कि वह यूनीवर्सिटी में पढ़ाते हैं और छुट्टियां मनाने के लिए भारत जा रहे हैं। उन्होंने बताया कि उन्होंने उनसे विनती की कि वह अपनी छह महीने की बेटी को देखना चाहते हैं। इसके अलावा उन्होंने उनको भारत में इस्लाम की इज्जत के बारे में बताया। उन्होंने बताया कि कैसे हिंदू और मुसलमान दोनों भारत में मिलजुल कर रहते हैं। कैसे दोनों एक दूसरे के धर्मों के कार्यक्रमों व त्योहारों को मिलजुल कर मनाते हैं।
ऐसे पहुंचे उनके शिकंजे में
लक्ष्मीकांत ने बताया कि वे चारों भारतीय एक कार से एयरपोर्ट की ओर जा रहे थे। उन्हें छुट्टियां मनाने के लिए भारत को रवाना होना था। उन्होंने बताया कि वे सभी दो अलग-अलग टैक्सियों में थे। यहां सिर्त से 50 किमी दूर एक चेक प्वाइंट से गुजरते हुए उनके ड्राइवर के पास एक फोन आया। उसको बताया गया कि कि दूसरी टैक्सी रोक ली गई है। ये सुनकर जब टैक्सीवाला टैक्सी लेकर उनके पास पहुंचा तो कुछ नकाशपोश बंदूकधारियों ने उन्हें घेर लिया।
पहुंचे एक कंपाउंड में
उन नकाबपोश लोगों ने उनको गाड़ियों से नीचे उतरने के लिए कहा। उसके बाद उन सबको एक बड़े कंपाउंड के हॉल में ले जाया गया। वहां पहुंचकर कुछ लोग उनका सामान चेक करने लगे। उनके पास जितने भी गहने और पैसे थे, वो सब उन लोगों ने निकाल लिए। उन सभी सामानों की उन्होंने एक लिस्ट तैयार की। इसके बाद उन सब लोगों को एक एयरकंडीशंड कमरे में ले जाया गया। यहां पर आराम करने के लिए एक कालीन बिछी हुई थी।