'दास्तान' : गैंगवार वाली गलियों से निकलकर बना ओलंपियन बॉक्सर
पिता का था सपना
छह भाई-बहनों में सबसे छोटे शिव थापा का जन्म गुवाहाटी, असम के बीरूबारी बाजार इलाके में हुआ। यह जगह आमतौर पर गैंगवार के लिए जानी जाती है। थापा के पिता पद्म थापा पेशे से कराटे इंस्ट्रक्टर हैं। कभी काला पहाड़ गैंग के सदस्यों से परेशान पद्म और उनके साथियों ने मणिपुर के कराटे इंस्ट्रक्टर को बीरूबारी बाजार में बसने व कराटे अकादमी खोलने के लिए प्रेरित किया। जिसने उन्हें व उनके दोस्तों को कराटे सिखाया। समय के साथ पद्म मन ही मन अपने बच्चों को ओलंपिक में खेलते देखने का सपना संजो रहे थे। जब उन्हें पता चला कि कराटे ओलंपिक खेलों का हिस्सा नहीं है उन्होंने अपने बेटों को बॉक्सिंग अपनाने के लिए प्रेरित किया। पद्म के शब्दों में मुझे नहीं पता कि उन्हें ओलंपिक खेलों के बारे में पता है या नहीं लेकिन उन्होंने मेरे सपनों का पीछा किया।
काफी भरोसेमंद बाक्सर हैं थापा
जब शिव थापा ने लंदन ओलंपिक में भारत का प्रतिनिधित्व किया तो उनकी उम्र महज 18 साल थी। उनके भाई गोविंद थापा भी स्टेट लेवल बॉक्सर हैं। माइक टायसन के मुक्कों के फैन शिव थापा ने कामयाबी का शुरुआती स्वाद 2008 में चखा। चिल्ड्रेन ऑफ एशिया इंटरनेशनल स्पोर्ट्स गेम्स, रूस में कांस्य पदक जीतकर। उसी साल हैदर अलीयेव कप में सोने का तमगा जीतकर थापा ने जता दिया कि वह भविष्य की उम्मीद हैं। उन्हें जूनियर वर्ल्ड बॉक्सिंग चैंपियनशिप, आर्मीनिया में भारत का प्रतिनिधित्व करने के लिए चुना गया। जहां 52 किलो भार वर्ग में कांस्य पदक जीतकर उन्होंने भरोसे को कायम रखा।
बड़ी कामयाबी का इंतजार
तेहरान, ईरान में 2010 में एशियन यूथ बॉक्सिंग चैंपियनशिप में भाग लेने पहुंचे थापा से हर किसी को गोल्ड मेडल जीतने की उम्मीद थी। थापा ने सेमीफाइनल तक का सफर आसानी से तय किया। सेमीफाइनल मुकाबला उनके नाम रहा लेकिन वह चोटिल हो गए। फाइनल में उन्हें हार का मुंह देखना पड़ा। हालांकि इससे बड़ी कामयाबी अभी उनका इंतजार कर रही थी।
सबसे युवा भारतीय बॉक्सर
2012 में कजाकिस्तान में एशियन ओलंपिक क्वालिफायर में सीरियाई बॉक्सर को हराकर वह इतिहास में ओलंपिक का टिकट कटाने वाले सबसे युवा भारतीय बॉक्सर बन गए। हालांकि लंदन ओलंपिक में मेक्सिको के ऑस्कर वाल्ज के हाथों हारकर उन्हें पहले ही चरण में बाहर होना पड़ा। इस हार से थापा ने सीख ली। जिसका नतीजा उसके बाद के बरसों में देखने को मिला। जब अपने मुक्कों से उन्होंने विपक्षी बॉक्सरों को धराशायी करने को आदत बना लिया। 2013 में अम्मान, जॉर्डन में एशियन कंफेडेरेशन बॉक्सिंग चैंपियनशिप में गोल्ड जीता। यह कारनामा करने वाले वह सबसे युवा भारतीय हैं। बाद चीन में एशिया ओसेनिया ओलंपिक क्वालिफायर में दूसरे स्थान पर रहकर रियो ओलंपिक के लिए उन्होंने अपनी जगह पक्की कर ली।
एआईबीए पुरुष वर्ल्ड रैंकिंग में बैंटमवेट कैटेगरी में शिव थापा का स्थान तीसरा है। गैंगवार वाली गलियों से निकले शिव थापा रियो ओलंपिक में मेडल की जंग में भारतीय उम्मीद हैं।
नोट: यह दास्तान शिव थापा से संबंधित विभिन्न साक्षात्कारों व समाचारों पर आधारित है।