यूक्रेन और रूस के बीच चल रहे भीषण युद्घ का देखते हुए संयुक्त राष्ट्र सोमवार को एक महासभा का आयोजन करने जा रहा है। यह मीटिंग करीब 40 साल बाद होने जा रही है। रविवार को मीटिंग को लेकर एक प्रस्ताव जारी किया था जिसमें सदस्य देशों से वोट करने को कहा गया। भारत ने हालांकि वोटिंग से परहेज किया।

संयुक्त राष्ट्र (आईएएनएस)। भारत ने तीसरी बार यूक्रेन पर सुरक्षा परिषद के मतदान में भाग नहीं लिया और कहा कि वह यूक्रेन और रूस द्वारा वार्ता करने के फैसले का स्वागत करता है। भारत के अलावा महाद्वीप से दो अन्य देश चीन और संयुक्त अरब अमीरात ने भी रविवार को एक प्रक्रियात्मक वोट से दूरी बनाई। बता दें यूएन ने यूक्रेन पर रूसी आक्रमण को देखते हुए 193 सदस्यीय महासभा की एक आपातकालीन बैठक बुलाई है। परिषद ने 40 सालों में पहली बार महासभा की आपात बैठक बुलाई है। आखिरी बार 1982 में अमेरिका ने सीरियाई गोलान हाइट्स पर इजरायल के कब्जे पर एक प्रस्ताव को वीटो कर दिया था।

भारत ने युद्घ खत्म करने की अपील की
महासभा सोमवार को स्थानीय समयानुसार सुबह 10 बजे (भारत में 8.30 बजे) आपातकालीन सत्र के लिए मिलने वाली है और यूक्रेन-रूस के बीच मौजूदा हालात पर चर्चा की जाएगी। यूएन में भारत के स्थायी प्रतिनिधि टी.एस. तिरुमिर्ती ने कहा कि "यह खेदजनक है कि इस मामले पर परिषद के आखिरी बार बुलाए जाने के बाद से यूक्रेन में स्थिति और खराब हो गई है। हम हिंसा की तत्काल समाप्ति और इस दोनों देशों के बीच दुश्मनी खत्म करने की अपील करते हैं।'

अमेरिका ने भारत से रूस से बात करने को कहा
अमेरिका ने सुझाव दिया था कि भारत और अन्य देशों का मॉस्को पर प्रभाव है ताकि वह आक्रमण को रोक सके। रूस के साथ भारत के "विशिष्ट" संबंधों को स्वीकार करते हुए, अमेरिकी विदेश विभाग के प्रवक्ता नेड प्राइस ने कहा शुक्रवार को कहा कि अमेरिका चाहता है कि भारत अंतरराष्ट्रीय मानदंडों को बनाए रखने के लिए रूस के साथ बातचीत की। अमेरिकी स्थायी प्रतिनिधि लिंडा थॉमस-जी रीनफील्ड ने रविवार के मतदान के बाद कहा कि रूस को उसके कार्यों के लिए जवाबदेह ठहराने से "कुछ साथी सदस्य देशों से कुछ साहस की आवश्यकता होगी"।

Posted By: Abhishek Kumar Tiwari