यूं तो दुनिया भर के वैज्ञानिक इंसानी बीमारियों को लेकर चूहों पर तमाम एक्‍सपेरीमेंट करते ही रहते हैं पर इस बार वैज्ञानिकों ने चूहे को ही इंसानी दिमाग दे दिया है। कहने का मतलब यह है कि रिसर्च टीम ने चूहे के शरीर में एक छोटा सा इंसानी दिमाग डेवलप करने में सफलता हासिल की है।

चूहे के सिर में विकसित कर डाला छोटा सा इंसानी दिमाग

इंसानी दिमाग से जुड़ी बीमारियों को ठीक करने की दिशा में वैज्ञानिकों को तब बड़ी सफलता हाथ लगी, जब उन्हें पहली बार चूहे के सिर में एक छोटे इंसानी मस्तिष्क (organoid) को विकसित करने में सफलता मिली। इनकी मदद से स्टेम कोशिकाओं से जुड़ी रिसर्च को बढ़ावा तो मिलेगा ही, साथ ही दिमाग से जुड़ी बड़ी बीमारियों जैसे ऑटिज्म, डिमेंशिया, सिजोफ्रेनिया आदि के कारण जानने में भी आसानी होगी। शरीर में मौजूद स्टेम कोशिकाएं अपनी तरह की अन्य कोशिकाओं का निर्माण करने में सक्षम होती हैं। कैलीफोर्निया अमेरिका के साल्क इंस्टीट्यूट के वैज्ञानिकों ने स्टेम सेल से बनाए गए ऑर्गनॉयड को चूहे के दिमाग के उस हिस्से में प्रवेश कराया जहां रक्त वाहनियां अधिक मात्रा में मौजूद थीं। प्रवेश करने के बाद ऑर्गनॉयड ने एस्ट्रोसाइट्स नामक न्यूरॉन और न्यूरोनल कोशिकाओं का निर्माण किया। जिसके फलस्वरूप ऑर्गनॉयड में न सिर्फ वाहिनियों का निर्माण हुआ बल्कि इनसे रक्त का प्रवाह भी होने लगा।

 

Rusty Gage has a new paper out today in @NatureBiotech describing his lab’s new approach to develop more sophisticated brain organoids (3D models of brain tissue) The approach could yield insights into the development of cures for brain disorders https://t.co/XRHs6EuKdK pic.twitter.com/KxtpGLtx7R

— Salk Institute (@salkinstitute) April 16, 2018 

चूहे में पूरी तरह हेल्दी बना रहा इंसान का ऑर्गनॉयड

नेचर बायोटेक जर्नल में छपी इस नई रिसर्च के फर्स्ट ऑथर Abed AlFattah Mansourने कहा, 'वाहिनियों से रक्त का प्रवाह होने से ऑर्गनॉयड लंबे समय तक सक्रिय रह सकते हैं। वैज्ञानिकों ने ऑर्गनॉयड का केवल आधा भाग ही चूहे के मस्तिष्क में प्रवेश कराया था। आधा बचा हुआ हिस्सा बाहर सुरक्षित रख लिया गया था। कुछ महीनों बाद चूहे में मौजूद इंसानी ऑर्गनॉयड पूरी तरह स्वस्थ थे जबकि बाहर रखा ऑर्गनॉयड मृत कोशिकाओं से भर गया था। नई तकनीक से अलग-अलग तरह के ऑर्गनॉयड बनाना पॉसिबल हो गया है। इनकी मदद से कई तरह की दिमागी बीमारियों का इलाज ढूंढने के साथ साथ दवाओं का परीक्षण और दिमाग में मौजूद डैमेज टिश्यूस की मर चुकी कोशिकाओं की जगह पर हेल्दी कोशिकाएं ट्रांसप्लांट की जा सकेंगी।

इनपुट: IANS

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Posted By: Chandramohan Mishra