मरीजों को मालूम नहीं इंप्लांट की एबीसीडी
डॉक्टर ने लगाकर ले लिए पैसे, परिजनों को कंपनी और रेट की जानकारी नहीं
फ्रैक्चर वाले मामलों में लगते हैं इंप्लांट, रोजाना होते हैं कई ऑपरेशन ALLAHABAD: आए दिन मरीजों को इंप्लांट लगाए जा रहे हैं। लेकिन परिजनों को इसकी एबीसीडी भी नहीं पता। इंप्लांट किस कंपनी का लगाया जा रहा है और इंप्लांट का रेट क्या है, इसकी जानकारी भी उन्हें नहीं है। वह बस डॉक्टर या स्टाफ की बात का पालन करते हैं। यह हाल हैं एसआरएन हॉस्पिटल का। यहां के आर्थोपेडिक विभाग में फ्रैक्चर वाले मामलों में सर्वाधिक इम्प्लांट होते हैं, जिनका पैसा एकमुश्त मरीजों से लिया जाता है। बस जानते हैं 'रॉड' और 'प्लेट'हॉस्पिटल के आर्थोपेडिक वार्ड में भर्ती मरीजों में कइयों का ऑपरेशन हो चुका है कुछ होना बाकी है। जो मरीज एक्सीडेंटल मामलों में के हैं, उनके पैर और हाथों में इंप्लांट लगाए जाते हैं। मरीज या परिजन इनको रॉड या प्लेट के नाम से ही जानते हैं। उनको न तो इनकी कंपनी के बारे में जानकारी होती है और न ही क्वॉलिटी या दाम के बारे में पता होता है। डॉक्टर्स या स्टाफ, मरीज का पैसा कैंपस के किसी दुकान में जमा करवा देते हैं और फिर सीधे इंप्लांट मंगाकर मरीज को लगा दिया जाता है।
जैसा कहेंगे डॉक्टर, वैसा ही होगा
केस-1 शाहगंज के रहने वाले फैजान (काल्पनिक नाम) का छह दिन पहले बाइक से एक्सीडेंट हो गया था। इससे उनके हाथ और पैर में चोट आई है। पैर के ऑपरेशन में डॉक्टर ने दस हजार रुपए इंप्लांट के नाम पर जमा करा लिए थे। अभी प्लेट का पैसा अलग से जमा किया जाना है। इससे ज्यादा परिजनों को इंप्लांट के बारे में कोई जानकारी नहीं है। केस-2 आर्थोपेडिक वार्ड में भर्ती जंघई के विकास (काल्पनिक नाम) का कुछ दिन पहले एक्सीडेंट हो गया था। उनके पैर के ऑपरेशन में 22 हजार रुपए लिया गया है। इसमें इंप्लांट की कीमत भी शामिल है। केस-3 जौनपुर के जतन (काल्पनिक नाम)का भी केस एक्सीडेंटल है। चार दिन से वह भर्ती हैं और पैर की सूजन कम नहीं हो रही है। डॉक्टर का कहना है कि नॉर्मल होने पर सर्जरी होगी, जिसमें रॉड डाली जाएगी। अभी तक परिजनों को रॉड की कॉस्ट नहीं बताई गई है। एक ही इंप्लांट के कई दामहॉस्पिटल में नी या हिप रिप्लेसमेंट अधिक नहीं होता है। सोर्स बताते हैं कि हॉस्पिटल में अधिकतर एक्सीडेंटल ही इंप्लांट लगाए जाते हैं। इनके दाम फिक्स नहीं हैं। यह दो हजार से लेकर 25 हजार रुपए तक कीमत के आते हैं। टाइटेनियम के इंप्लांट की कीमत इससे भी अधिक होती है।
इन बातों का रखें ध्यान -इंप्लांट हमेशा क्वॉलिटी देखकर ही खरीदें। -कई देशी कंपनियां घटिया मेटल के इंप्लांट बनाती हैं जो नुकसान कर सकते हैं। -इंप्लांट की कीमत का तुलनात्मक अध्ययन भी करना चाहिए। -घटिया इंप्लांट की लाइफ कम होती है और यह बॉडी के अंदर कॉम्प्लीकेशन पैदा कर सकते हैं। हमारे यहां नी-रिप्लेसमेंट आदि नही होता है। केवल एक्सीडेंटल इम्प्लांट लगाए जाते हैं और यह भी मरीज को बता दिया जाता है। मरीज और परिजनों को इसकी पूरी जानकारी होती है। -डॉ। करुणाकर द्विवेदी, एसआईसी एसआरएन हॉस्पिटल