सूबे में हुकूमत के हक को लेकर अब दिल्ली सरकार सीधे केंद्र सरकार से दो-दो हाथ करने को तैयार है. इसी क्रम में केंद्र द्वारा शासन पर अधिकारों के मामले में अधिसूचना जारी कर उपराज्यपाल की श्रेष्ठता साबित किए जाने के बाद अब दिल्ली सरकार विधानसभा के माध्यम से केंद्र के फरमान को चुनौती देगी.


दिल्ली विधानसभा का दो दिवसीय आपात सत्र मंगलवार से शुरू हुआ है. दिल्ली विधानसभा में केंद्र सरकार द्वारा जारी किए गए नोटिफिकेशन के खिलाफ उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने प्रस्ताव पेश किया है. उन्होंने कहा कि इस नोटिफिकेशन में सर्विसेज को दिल्ली की सरकार के दायरे से बाहर किया गया है. गृहमंत्रालय का आदेश संविधान का उल्लंघन है. इस प्रस्ताव में यह भी लिखा गया है कि केंद्रीय गृह मंत्रालय की अधिसूचना से दिल्ली विधानसभा, दिल्ली सरकार और भ्रष्टाचार निरोधक शाखा के अधिकारों में भारी कटौती कर दी गई है. दूसरी ओर देश के जाने-माने संविधान विशेषज्ञों, केके वेणुगोपाल, राजीव धवन, गोपाल सुब्रमण्यम और इंदिरा जयसिंह आदि ने इस अधिसूचना को खारिज कर दिया है. लिहाजा सदन इस अधिसूचना पर विचार करे और आगे की कार्रवाई तय करे.


अब इस अधिसूचना के खिलाफ प्रस्ताव पर चर्चा होगी और 20 से 25 विधायक इस पर अपनी राय रखेंगे. बुधवार को इसे पारित कर उपराज्यपाल नजीब जंग के माध्यम से राष्ट्रपति को भेजा जाएगा. यह भी कहा जा रहा है कि सरकार ने उन विकल्पों पर भी विचार किया है कि दिल्ली विधानसभा के निर्णय को सीधे राष्ट्रपति को भेज दिया जाए. मगर वर्तमान संवैधानिक प्रावधानों में ऐसी कोई व्यवस्था नहीं होने के कारण उपराज्यपाल कार्यालय से होकर ही फाइल राष्ट्रपति को जाएगी.

प्रस्ताव पारित करने में परेशानी नहीं70 सदस्यों वाली दिल्ली विधानसभा में आम आदमी पार्टी के 67 विधायक हैं. इनमें से एक विधायक पंकज पुष्कर आप से निकाले गए खेमे में हैं. यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि वह सदन में आप विधायकों का साथ देते हैं अथवा नहीं. सदन में सरकार को इतना प्रचंड बहुमत हसिल है कि वह आराम से अपना प्रस्ताव पारित कर राष्ट्रपति को भेज सकती है. ऐसी चर्चा है कि मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल इस प्रस्ताव के माध्यम से यह संदेश देना चाहते हैं कि दिल्ली की जनता ने केंद्र द्वारा जारी अधिसूचना को खारिज कर दिया है. जानकारों का कहना है कि दिल्ली विधानसभा द्वारा केंद्र की अधिसूचना के खिलाफ प्रस्ताव पारित किए जाने से इस अधिसूचना की कानूनी मान्यता पर कोई असर भले नहीं होगा लेकिन एक राजनीतिक संदेश जरूर जाएगा. सूत्रों ने बताया कि विधानसभा के आपात सत्र में दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा दिए जाने का प्रस्ताव भी लाया जाएगा लेकिन यह प्रस्ताव सरकार की ओर से नहीं बल्कि किसी विधायक की ओर से निजी प्रस्ताव के तौर पर पेश किया जाएगा. इस प्रस्ताव को मंजूरी दिए जाने की भी संभावना है.

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Posted By: Molly Seth