वह समय दूर नहीं जब कंप्यूटर पर ही असली और नकली तस्वीरों को पहचाना जा सकेगा. वैज्ञानिकों ने एक ऐसा सॉफ्टवेयर विकसित किया है जिससे फर्जी तस्वीरों का पता लगाया जा सकेगा. हाल ही में इस सॉफ्टवेयर के इस्तेमाल से पता लगाया गया था कि वर्ष 1969 में अपोलो 11 अंतरिक्ष यान की चंद्रमा पर उतरने की तस्वीरें फर्जी थी. यह शोध जर्नल एसीएम ट्रांजेक्शन ऑफ ग्र्राफिक्स में जल्द ही प्रकाशित होगा.


आंखों से देख पाना मुश्किलडार्टमाउथ कॉलेज और कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने इस नए प्रणाली को विकसित किया है. इस प्रणाली के तहत ज्यामितीय विधि से तस्वीर में असंगत छाया का पता लगाया जाता है, जिन्हें आंखों से देख पाना मुश्किल होता है. इस विधि के तहत तस्वीर की वास्तविकता का पता लगाने के लिए उसमें मौजूद कई तरह की परछाइयों का विश्लेषण किया जाता है.सॉफ्टवेयर ने बताया चांद पर लैंडिंग फर्जीशोधकर्ताओं ने कहा, ‘इस सॉफ्टवेयर की मदद से पता लगाया गया कि वर्ष 1969 में चंद्रमा पर अंतरिक्ष यान की लैंडिंग की तस्वीरें झूठी थी.’ डार्टमाउथ कॉलेज में कंप्यूटर साइंट के प्रोफेसर और प्रमुख शोधकर्ता हेनी फरिड ने कहा, हमारा एक ही सवाल था कि तस्वीरों में दिखने वाला प्रकाश और परछाइयां क्या रही हैं? इस संबंध में हमने दृश्य सामग्र्री को समझा और फिर कंप्यूटर की मदद से ज्यामितीय विसंगतियों का पता लगाया.

Posted By: Satyendra Kumar Singh