गर्मियों के मौसम और अत्‍याधिक शारीरिक श्रम की स्‍थिति में पसीना आना स्वाभाविक प्रक्रिया है। सामान्‍य रूप से पसीना आना शरीर के लिए सेहतमंद और जरूरी है। इसके बावजूद जिन लोगों को बहुत अधिक पसीना आता है उन्हें इस पर ध्‍यान देना चाहिए। अधिक पसीने के कई कारण हो सकते हैं जैसे डीहाइड्रेशन हालाकि ज्यादा पसीना आना अपने आप में कोई बीमारी नहीं है लेकिन कभी-कभी इसके पीछे स्वेट ग्लैंड में गड़बड़ी स्ट्रेस हार्मोनल बदलाव मसालेदार खाना अधिक दवाएं मौसम और मोटापे जैसे कारण हो सकते हैं। बहुत अधिक पसीना आने की स्थिति को हाइपरहाइड्रोसिस भी कहा जाता है। आइये जानें क्यों आता है पसीना।

पसीना आने के कारण
इंसान को पसीना इसलिए आता है ताकि शरीर का तापमान 98.6 डिग्री फैरनहाइट के आसपास ही नियंत्रित रहे। इस के लिए मानव शरीर में लगभग 25 लाख पसीने की ग्रंथियां यानि स्वेट ग्लैंड हैं। ये ग्रंथियां एयर कंडीशनिंग का काम करती हैं। जब गर्मी बहुत बढ़ जाती है तो शरीर को ठंडा करने के लिए इन ग्रंथियों से पसीने की बूंदें निकलना शुरू हो जाती हैं। पसीने के हवा में सूखने से ठंडक पैदा होती है और शरीर का तापमान सामान्य हो जाता है। कई बार आंतरिक कारकों जैसे चिंता, डर और तनाव के चलते भी त्वचा से पसीना निकलता है। हार्मोनल चेंजेस खासकर युवा अवस्था में, के कारण शरीर में करीब 30 लाख पसीने वाली ग्रंथियां सक्रीय हो जाती हैं। हाइपरहाइड्रोसिस से पीड़ित व्यक्तियों में भी सामान्य लोगों से अधिक पसीना आता है।
क्या है हाइपरहाइड्रोसिस
हाइपरहाइड्रोसिस नर्वस सिस्टम से जुड़ा यह एक सामान्य डिसॉर्डर है। इसे तीन भागों में बांटा जा सकता है - नर्वस सिस्टम, इमोशनल व हार्मोनल बदलाव व बाहरी पर्यावरण। जो लोग हाइपरहाइड्रोसिस से पीड़ित होते हैं, उनमें पसीने की ग्रंथियां अधिक सक्रिय हो जाती हैं। इसके कारण ज्यादा पसीना आने लगता है।  हथेलियों और तलवों में अधिक पसीना आने को पालमोप्लोंटर हाइपरहाइड्रोसिस कहा जाता है। हाइपरहाइड्रोसिस में शरीर को ठंडक देने की प्रक्रिया अति सक्रिय हो जाती है। इस कारण सामान्य से चार से पांच गुना अधिक पसीना आता है। गर्म मौसम, अधिक शारीरिक श्रम, भावनात्मक समस्याओं, हार्मोनल बदलाव, मेनोपॉज, डायबिटीज, हाइपरथायरॉइड, मोटापा, निकोटीन, कैफीन और तला मसालेदार खाना, हाइपरहाइड्रोसिस की समस्या को और बढ़ा देता है।

भावनात्मक भी हैं पसीने के ज्यादा आने के कारण
चिकित्सकों और शोधकर्ताओं के अनुसार क्योंकि मेडिकल साइंस से जुड़ी टेक्स्ट बुक्स में पसीने से जुड़ी भावनात्मक समस्याओं के बारे में बहुत कम जानकारी होती है।  यही वजह है कि ज्यादातर डाक्टर इस बारे में अच्छी तरह नहीं जानते। इसलिए लोग पसीने की अधिकता से जुड़ी इस बीमारी से होने वाली मानसिक पीड़ा को ठीक तरह से समझ ही नहीं पाते। इसके मरीजों को अकसर सायकायट्रिस्ट के पास ले जाया जाता है। साथ के लोग भी मरीज की समस्या को गंभीरता से नहीं लेते जिसके चलते मरीज आत्मविश्वास खो देता है और उसे भारी मानसिक तनाव से गुजरता है।
हृदय के लिए मुश्किल के संकेत
बिना किसी काम और एक्सरसाइज के सामान्य से अधिक पसीना आना हृदय की समस्याओं की पूर्व चेतावनी संकेत हो सकते हैं। दरअसल रुकी हुई धमनियों के माध्यम से खून को दिल तक पंप करने के लिए ज्यादा मेहनत करनी पड़ती है। जिससे शरीर को अतिरिक्त तनाव में शरीर के तापमान को सामान्य बनाए रखने के लिए अधिक पसीना आता है। अगर आपको बहुत अधिक पसीना आता है और चिपचिपी त्वचा का अनुभव होता है तो तुरंत अपने चिकित्सक से परामर्श करना चाहिए।
साफ सफाई की कमी
पसीना अधिक आने की समस्या होने पर साफ सफाई का खास खयाल रखें। इससे पसीने को रोकने में बहुत मदद मिलती है। इससे पर्सनल हाइजीन होती है और आपकी त्वचा भी संक्रमण और बीमारी से बचती है। जब भी कोई कपड़ा पहने तो उससे पहले अपने अंडरआर्म को सुखा लें। इससे कम पसीना आएगा। ठीक प्रकार से नहाएं और गर्मियों के मौसम में रोजाना दो बार नहाएं।
खान पान का विशेष ध्यान
प्रतिदिन एक बार एक कप टमाटर का जूस लेने से अधिक पसीने आने की समस्या से राहत मिलती है। इसके अलावा ग्रीन टी भी पसीने को नियंत्रित करने में  मददगार साबित होती है। पानी अधिक से अधिक पिएं, ताकि पसीने की दुर्गंध से आपको छुटकारा मिल सके और शरीर भी हाइड्रेट रहे। ध्यार रहे कि स्ट्राबेरी, अंगूर और बादाम आदि में सिलिकॉन अधिक मात्रा में होता है जिससे पसीना अधिक अत ज्यादा पसीने की समस्या में इन्हें कम ही लें।

मोटापा और व्यायाम
अत्याधिक मोटापा और व्यायाम दोनों ही ज्यादा पसीना आने का कारण बनते हैं। जरूरी है कि इन्हें संतुलित ही रखा जाए। मोटे व्यक्ति में इंसुलेटर बढ़ने की संभावना होती है जिससे बॉडी का टेंप््रेचर बढ़ जाता है और स्वेटिंग शुरू हो जाती है। ऐसा ही ज्यादा एक्सरसाइज के कारण होता है। व्यायाम आपके शरीर का तापमान बढ़ा देता है और पसीना निकलने लगता है।

 

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Posted By: Molly Seth