ALLAHABAD: पढ़े लिखे समाज में भी बेटा-बेटी में भेद की कुरीति बरकरार है। भ्रूण हत्याओं के मामले भी सामने आते रहते हैं। इसी तरह की कुरीतियों पर प्रहार करने वाले नाटक 'लक्ष्मी की कहानी' का मंचन एनसीजेडसीसी सभागार में हुआ। निर्देशन धर्मशंकर दीक्षित ने किया।

संस्कृति मंत्रालय भारत सरकार के तत्वावधान में मेरी बाना मेकर ग‌र्ल्स इंटर कॉलेज की बच्चियों की पंद्रह दिवसीय कार्यशाला कराई गई। मंचन एनसीजेडसीसी सभागार में हुआ। नाटक के मंचन में बताया गया कि एक गांव में जालिम सिंह नाम का व्यक्ति रहता था। बेटे की चाह में उसने पत्‍‌नी की भ्रूण हत्या कराई। लेकिन न चाहते हुए भी पत्नी ने बेटी को जन्म दिया, जिसे मूर्तियां बनाने का शौक था। जालिम सिंह ने उसे स्कूल नहीं जाने दिया। तमाम प्रतिबंध के बाद भी लक्ष्मी पढ़ाई करती है और आईएएस बन जाती है। जालिम सिंह अपने गुनाहों के लिए माफी मांगता है।

Posted By: Inextlive