- बजट से पहले राज्यवर्धन राठौर टटोलकर ले गए थे शहर की नब्ज

- कारोबारियों, डॉक्टरों, प्रबुद्ध वर्ग के बेनतीजा रहे सुझाव

Meerut : केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण राज्यमंत्री राज्यवर्धन राठौर बजट से पहले आखिर क्यों शहर में आए थे? इस बजट में मेरठ से जुड़े सुझावों को नजरअंदाज किया गया है। कुछ भी नहीं मिला आवाम को। कुछ ऐसी प्रतिक्रिया है, उन लोगों की जिन्होंने राज्यवर्धन के साथ इस आश्वासन पर मंच साझा किया था। सवाल है कि क्या 'पीएम का रेडियो' बनकर आए राज्यवर्धन ने सुझावों को अरुण जेटली से साझा नहीं किया या वित्त मंत्री ने इन सुझावों को तवज्जो नहीं दिया?

आईएमए ने दिए थे सुझाव

इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के अध्यक्ष डॉ। तनुराज सिरोही ने 19-20 जनवरी दो दिन के प्रवास के दौरान 15 सुझावों को बजट में जोड़ने की मांग की थी

- मेडिकल प्रोफेशनल के लिए इनकम टैक्स के प्रावधान में परिवर्तन हो

- मेडिकल प्रोफेशनल को इनकम टैक्स और सर्विस टैक्स से छूट मिले।

- कस्टम ड्यूटी से भी मेडिकल प्रोफेशनल को राहत मिले।

- 'मेक इन इंडिया' प्रोजेक्ट में मेडिकल इंडस्ट्री को छूट मिले।

- ग्रामीण क्षेत्र में चिकित्सीय उपक्रम खोलने पर डॉक्टर को विशेष रियायत हो।

- इंश्योरेंस इंडस्ट्री में सुझावों को शामिल किया जाए।

- मेडिकल उत्पादों पर एक्साइज ड्यूटी कम को कम किया जाए।

- विभिन्न चिकित्सीय उपचार को इनकम टैक्स से मुक्त करें।

- मेडिकल शिक्षा पर इनकम टैक्स को माफ किया जाए।

- एडेड क्लीनिक का कॉन्सेप्ट आए।

- टैक्स हॉलीडे।

- मेडिकल प्रोफेशनल को स्पेशल सर्विस सेक्टर से जोड़ा जाए।

- विभिन्न मेडिकल उत्पादों में वैट को एप्लीकेबल किया जाए।

लेकिन मिला कुछ नहीं

डॉ। सिरोही का कहना है कि आम बजट-2016 में देशवासियों को कुछ नहीं मिला है। इंफ्रास्ट्रक्चर पर ध्यान दिया गया है, पापुलेशन कंट्रोल पर सरकार की नजर नहीं है। पापुलेशन कंट्रोल पर कड़े प्रोवीजन आएं तो इंफ्रा पर इनवेस्ट करना ही नहीं होगा। डायलेसिस यूनिट के इक्यूपमेंट और दवाओं को सस्ता करने, हर जनपद में डायलेसिस सेंटर खोलने से महज ढाई लाख मरीजों को फायदा मिलेगा। 300 जेनेरिक मेडिकल स्टोर खोलने का प्रावधान प्रशंसनीय है। यहां भी सवाल है कि देश बहुत बड़ा है और ये संख्या कम है। आईएमए के सुझावों को साझा नहीं किया गया। हालांकि संस्था प्रयास करेगी कि सस्ती दवाओं का एक जेनरिक स्टोर मेरठ में खोला जाए।

व्यापारियों ने रखी अपनी बात

आईआईए भवन में आयोजित सभा में कारोबारियों ने रखी थीं ये मांगें

- मेरठ में स्पेशल इकोनोमी जोन बनाया जाए।

- बैंक उद्योगों को आसान ऋण दें।

- उद्योग ऋण की सीमा को एक करोड़ की सीमा को बढ़ाकर तीन करोड़ रुपए सीमा करें।

- लघु इकाइयों को 45 दिनों के अंदर भुगतान नहीं मिल रहा है।

- एयरपोर्ट, एक्सपोटर्स हाउस का निर्माण।

- ईएसआई के तहत श्रमिकों के लिए उच्चीकृत अस्पताल का निर्माण।

- ज्वैलरी इंडस्ट्री को सेज बनाकर विकसित किया जाए।

अधूरी रह गई आस

इंडियन इंडस्ट्री एसोसिएशन के मेरठ चैप्टर के चेयरमैन अतुल भूषण गुप्ता ने कहा कि राज्यमंत्री को मेरठ की ओर से जो सुझाव दिए गए थे, उन्हें नजरअंदाज किया गया है। मेक इन इंडिया और स्टार्ट अप की शर्ते अनुकूल नहीं हैं। बजट में मेरठ और वेस्ट यूपी के लिए कुछ भी नहीं है।

Posted By: Inextlive