सुप्रीम कोर्ट ने आज कॉल ड्रॉप मामले में एक अपना फैसला सुनाया है। जिसमें उसने भारतीय दूरसंचार प्राधिकार ट्राई के आदेश को खारिज करते हुए यूजर्स को पेनाल्‍टी देने पर रोक लगा दी है। कोर्ट का कहना है कॉल ड्राप के लिए टेलीकॉम कंपिनयां जवाबदेह नहीं है। ऐसे में अब इस आदेश के बाद टेलीकॉम कंपनियों ने राहत की सांस ली है।


अनुचित और गैर पारदर्शीसुप्रीम कोर्ट ने आज बुधवार को मोबाइल कंपनियों को राहत देते हुए देते हुए ट्राई के आदेश पर रोक लगा दी। सुप्रीम कोर्ट ने कॉल ड्रॉप पर पेनाल्टी लगाने के ट्राई के प्रस्ताव को असंवैधानिक करार दिया और ट्राई के फैसले पर रोक लगा दी है। कोर्ट ने अपने फैसले में कॉल ड्रॉप के लिए टेलीकॉम कंपनियों द्वारा ग्राहकों की क्षतिपूर्ति करने वाला ट्राई का आदेश अनुचित और गैर पारदर्शी है। सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला टेलीकॉम कंपनियों के लिए राहत देने वाला फैसला है। सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के बाद कॉल ड्रॉप होने पर टेलीकॉम कंपनियों कोई हर्जाना नहीं देना होगा। दरअसल, ट्राई ने आदेश जारी करते हुए कहा था हर कॉल ड्रॉप पर टेलीकॉम कंपनियों को हर्जाने के तौर पर एक रुपया और अधिकतम तीन रुपये उपभोक्ता को देने होंगे। ट्राई के आदेश पर रोक
कंपनियों ने दिल्ली हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की लेकिन हाईकोर्ट ने ट्राई के पक्ष में फैसला सुनाया। कंपनियों ने हाईकोर्ट के आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है।जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने ट्राई के आदेश पर रोक लगा दी, कोर्ट के इस फैसले के बाद 50 करोड़ मोबाइल उपभोक्ताओं को कॉल डॉप पर कोई हर्जाना नहीं मिलेगा। पिछली बार हुई सुनवाई के दौरान ट्राई ने सुप्रीम कोर्ट में अपना पक्ष रखते हुए कहा था कि टेलीकॉम कंपनियों द्वारा फैसलों को अदालतों में चुनौती देने से पहले कॉल ड्रॉप नियमन लागू करना चाहिए। ट्राई ने कहा था कि टेलीकॉम कंपनियों को केवल अपना राजस्व हासिल करने में रूचि है और बड़ी मात्रा में हो रही कॉल ड्राप के लिए टेलीकॉम कंपनियों जिम्मेदार हैं।

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Posted By: Shweta Mishra