- जिला अस्पताल और मेडिकल कॉलेज में स्वाइन फ्लू से निपटने के नहीं कोई खास इंतजाम

- मेडिकल में स्वाइन फ्लू के मरीज को भर्ती करने के लिए खोजते रह जाएंगे वार्ड

Meerut: स्वाइन फ्लू का वायरस देशभर में वायरल हो रहा है। विदेश से आया यह वायरस अब इंडिया में पैर पसार गया है, जिससे अब तक सैकड़ों लोगों की मौत हो चुकी है। सेंट्रल गवर्नमेंट हो या फिर यूपी सरकार, सभी को स्वाइन फ्लू के वायरस ने सकते में डाल दिया। यूपी में भी हालत काफी गंभीर बने हुए हैं। जिसके चलते सरकार ने स्वाइन फ्लू के इलाज को फ्री करने के निर्देश दिए हैं। जिला अस्पताल और मेडिकल कॉलेज की स्थिति स्वाइन फ्लू से लड़ने की कतई नहीं है। जिला अस्पताल में तो थोड़ी बहुत सफाई और दवाई की व्यवस्था है, लेकिन मेडिकल कॉलेज में दूसरों को भी बीमार करने की तैयारी है।

जिला अस्पताल

जिला अस्पताल में स्वाइन फ्लू वार्ड बनाया गया है, जिसमें करीब आठ बैड पड़े हुए हैं। कर्मचारी के लिए एक ड्रेस भी है, लेकिन इन बैड के बीच में संक्रमण रोकने के लिए कोई व्यवस्था नहीं है। अगर एक साथ कई लोग आते हैं, तो संक्रमण से बचाव होना संभव नहीं है। अस्पताल में मौजूद वार्ड इंचार्ज का कहना है कि टेमी फ्लू की व्यवस्था तो यहां है, लेकिन अधिक संक्रमित मरीज को रखने के लिए वेंटीलेटर की व्यवस्था नहीं है। एक मरीज आया भी था, जिसको तुरंत दिल्ली रेफर भेज दिया गया। हालात ये हैं कि यहां स्वाइन फ्लू के मरीज का अधिक देर इलाज संभव नहीं है।

मेडिकल की व्यवस्था

मेडिकल कॉलेज के हड्डी वार्ड में चार बैड का एक चैंबर है, जो पूरे वार्ड से अटैच है। बीच में ना कोई गेट है, न ही कोई रोकटोक। एक तरफ हड्डी वाले बच्चे और शीशे के दूसरी ओर स्वाइन फ्लू वार्ड। यहां की हालत जिला अस्पताल से भी बदतर है। पहले तो इस वार्ड को कोई जानता ही नहीं। किसी से भी बात की जाती तो वह दूसरे पर टाल देता। इस वार्ड में दस दिन पहले एक मरीज स्वाइन फ्लू का आया था। जिसको नई इमरजेंसी में शिफ्ट कर दिया गया था। जहां पहले से ही काफी मरीज मौजूद हैं और इनके बैड के बीच में कोई ऐसी व्यवस्था नहीं है जिससे संक्रमण रुक सके।

कोई नहीं देखने वाला

जिला अस्पताल हो या फिर मेडिकल कॉलेज दोनों ही जगह सुरक्षा राम भरोसे हैं। मरीज आता है तो उसको स्ट्रेचर भी खोजनी पड़ती है। मेडिकल कॉलेज में अब इमरजेंसी भी काफी दूर हो गई है। स्वाइन फ्लू का वार्ड तो खोजते ही रह जाएंगे। हालत यह है कि यहां भर्ती होने वाले मरीज का संक्रमण दूसरे मरीज को ना लगे ऐसी कोई व्यवस्था नहीं है। मेडिकल कॉलेज में करोड़ों रुपए लगाकर नई इमरजेंसी शुरू की गई है, लेकिन व्यवस्थाएं जस की तस ही हैं। जिला अस्पताल में भी स्वाइन फ्लू वार्ड टीबी वार्ड के बराबर में बनाया गया है। जहां पहले से ही संक्रमित एरिया हैं।

आखिरी चारा दिल्ली

लखनऊ से लेकर मेरठ तक स्वाइन फ्लू का कहर जारी है। मेरठ में भी कई मरीज स्वाइन फ्लू से संक्रमित पाए गए। जिनको यहां ईलाज नहीं दिया गया बल्कि उनको दिल्ली रेफर किया गया। स्वाइन फ्लू का वायरस एक बार किसी को पकड़ गया और फ‌र्स्ट स्टेज में उसकी देखभाल हो गई तो कुछ हो सकता है, लेकिन उसको मेरठ में आखिरी स्टेज में बचाने का कोई सीन नहीं है। उसके लिए दिल्ली ही आखिरी चारा है और वहां भी जाकर उसकी जान बचनी मुश्किल होती है। क्योंकि इसके वायरस का तोड़ अभी तक नहीं निकल पाया है।

वर्जन

हमारे यहां पूरी व्यवस्था है। हमने इसके लिए वार्ड बनाया हुआ है। दवाइयों की भी पूरी व्यवस्था है। टेमी फ्लू भी पूरी है।

- डॉ। सुभाष सिंह, सीएमएस मेडिकल कॉलेज

Posted By: Inextlive