लखनऊ (ब्यूरो)। राजधानी में डेंगू के मामलों के बीच स्वाइन फ्लू के केस भी बढ़ रहे हैं। सरकार ने डेंगू जांच की दरें तो तय कर दी हैं, पर स्वाइन फ्लू की जांच की दरों पर कोई कैप नहीं लगाया है। जिसकी वजह से निजी डायग्नोस्टिक लैब द्वारा जांच के लिए मनमानी दरें वसूली जा रही हैं। इसके लिए 5500 रुपये तक लिए जा रहे हैं। महंगी जांच के चलते लोग भी जांच कराने से बच रहे हैं। हालांकि, सरकारी अस्पतालों में जांच फ्री में होती है।

5500 तक कर रहे चार्ज

राजधानी में स्वाइन फ्लू के मामले लगातार आ रहे हैं। जनवरी से अबतक करीब 56 मामले सामने आ चुके हैं, जबकि 10 से अधिक मामले अकेले अक्टूबर माह में सामने आ चुके हैं। स्वास्थ्य विभाग द्वारा शासन के आदेश पर डेंगू की जांच के लिए अधिकतम 1200 रुपये तय किए हैं। पर स्वाइन फ्लू की जांच केवल बड़ी-बड़ी निजी लैब में ही उपलब्ध है। राजधानी में 250 से अधिक निजी लैब हैं। वहीं, सरकार द्वारा स्वाइन फ्लू की जांच के लिए कोई दर तय न करने का फायदा निजी लैब उठा रही हैं और 4500-5500 रुपये तक ले रही हैं। लैब और घर, दोनों से सैंपल लेने की सुविधा है, जिसकी वजह से महंगी जांच की मार मरीजों को झेलनी पड़ रही है।

सरकारी में फ्री जांच

स्वाइन फ्लू की जांच सरकारी अस्पतालों में फ्री में होती है। राजधानी में केजीएमयू व पीजीआई में ही स्वाइन फ्लू की जांच होती है, जबकि लोकबंधु, बलरामपुर व सिविल आदि में सैंपल लेने की सुविधा है। हालांकि, यहां डॉक्टर केवल विशेष परिस्थितियों में ही जांच के लिए लिखते हैं।

डेंगू के इलाज की दर तय नहीं

डेंगू का इलाज सरकारी अस्पताल में तो फ्री में मिल रहा है। इसको लेकर पर्याप्त दवाएं भी मौजूद है। लेकिन निजी अस्पतालों में इलाज करवा रहे डेंगू मरीजों के लिए इलाज की दरों को तस नहीं किया गया है। जिसके चलते निजी अस्पताल जनरल वार्ड के ही रोजाना के हिसाब से 5-10 हजार रुपये तक वसूल रहे है। वहीं, गंभीर होने पर खर्च और अधिक बढ़ जाता है। ऐसे में स्वास्थ्य विभाग को इसपर पर विचार करना चाहिए।

ऐसे होते हैं लक्षण

- तेज बुखार

- सर्दी, जुकाम

- गला खराब

- मांसपेशियों में दर्द

- तेज सिरदर्द

- लाल आंखें

- कमजोरी

बचाव के तरीके

- खांसते-छींकते समय मुंह ढकें

- अच्छे से हाथ धोएं

- मास्क पहने रहें

- भीड़ वाली जगहों से बचे

- लक्षण नजर आने पर डॉक्टर से संपर्क करें

स्वाइन फ्लू की जांच बेहद सीमित लैब में हो रही है। इसकी दरों को कम करने के लिए काम किया जा रहा है।

-डॉ। मनोज अग्रवाल, सीएमओ

डेंगू मरीज मिलने पर 60 घरों में करें स्क्रीनिंग

राजधानी समेत प्रदेश में कई जिलों में भारी बारिश देखने को मिल रही है, जिसकी वजह से डेंगू-मलेरिया समेत अन्य मच्छरजनित बीमारियों का खतरा बढ़ गया है। लिहाजा अतिरिक्त सावधानी बरतने की जरूरत है। स्वास्थ्य विभाग व मलेरिया ईकाई अधिक चौकन्ना रहें। जिन इलाकों में डेंगू-मलेरिया के मरीज मिले उनके घर के आसपास सघन अभियान चलाएं। एक मरीज मिलने की दशा में कम से कम 50 से 60 घरों में स्क्रीनिंग कराएं। एंटीलार्वा का छिड़काव करें। बुखार पीडि़तों की पहचान कर जांच व इलाज मुहैया कराएं। ये आदेश मंगलवार को डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक ने सीएमओ को दिए।

अगले 15 दिन अहम

डिप्टी सीएम के मुताबिक, बारिश के बाद जलभराव की स्थिति कई इलाकों में हो सकती है। लिहाजा जिम्मेदार विभाग जलभराव की स्थिति न होने दें। जिन प्लांट में पानी भरा है, उनके मालिकों को नोटिस दें। कूड़े-कचरे की नियमित उठान करें। नालियों की सफाई करें। डेंगू-मलेरिया के लिहाजा से आने वाले 15 दिन बेहद अहम हैं, क्योंकि बारिश के बाद मच्छरों की पैदावार बढ़ सकती है। इससे डेंगू व मलेरिया की आशंका बढ़ सकती है। ऐसे में एंटीलार्वा के छिड़काव का अभियान तेज करें। नगर निगम के अधिकारी फॉगिंग सुनिश्चित करें। इसमें किसी भी तरह की कोताही बर्दाश्त नहीं की जाएगी। डिप्टी सीएम ने आगे कहा कि सरकारी अस्पतालों में डेंगू-मलेरिया के इलाज के पुख्ता इंतजाम हैं। दवाएं पर्याप्त जुटा ली गई हैं। जिन अस्पतालों में कोई कमी है, उन्हें तत्काल पूरा करें। दवाओं की कमी नहीं है। डेंगू की जांच की भी पुख्ता व्यवस्था है। डेंगू संक्रमितों को मच्छरदानी में रखें। प्रत्येक अस्पताल जरूरत पडऩे पर डेंगू मरीजों के लिए बेड बढ़ाएं। किसी भी दशा में मरीज को बिना इलाज न लौटाएं।