छ्वन्रूस्॥श्वष्ठक्कक्त्र : बेअसर होती एंटीबायोटिक दवाओं पर रोक लगाने के लिए महात्मा गांधी मेमोरियल (एमजीएम) मेडिकल कॉलेज के माइक्रोबायोलॉजी डिपार्टमेंट ने एक टीम गठित की है। यह टीम प्रखंड स्तर से लेकर बड़े हॉस्पिटलों में जाकर देखेगी कि पेशेंट्स को कौन से एंटीबायोटिक लिखे जा रहे है, अगर लिखा जा रहा है तो क्या पीडि़त कोर्स पूरा कर रहा है या नहीं? साथ ही, डॉक्टर्स को कम से कम एंटीबायोटिक लिखने की सलाह भी दी जाएगी। ताकि दवाओं के गलत इस्तेमाल व ओवरडोज से बचा जा सके।

दवा दुकानदारों को किया जाएगा जागरूक

एंटीबायोटिक दवाओं को लेकर शुक्रवार को एमजीएम कॉलेज में एक सेमिनार का आयोजन किया गया। इस अवसर पर बताया गया कि वहीं केमिस्ट, फार्मासिस्ट, समाजिक संस्थाएं व आम जनता को जागरूक करने के लिए अभियान चलाया जाएगा। इस अभियान को सफल बनाने के लिए इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आइएमए) की भी मदद ली जाएगी। इस अभियान के जरिए मरीजों को कम से कम एंटीबायोटिक दवाएं लिखने की सलाह दी जाएगी।

क्या होगा होगा फायदा

1-गवर्नमेंट संस्थानों में एंटीबायोटिक की खरीदारी पर हो रही फिजूलखर्ची और दवा दुकान से पेशेंट को दवा की खरीदारी में अधिक राशि का भुगतान पर भी काफी हद तक रोक संभव होगी।

2- एंटी बायोटिक का इस्तेमाल सिर्फ उन्हीं बीमारियों में हो, जिनमें इनकी आवश्यकता अधिक है। ऐसे में मरीजों को काफी हद तक सहूलियत हो जाएगी।

3-एंटी बायोटिक दवाओं के इस्तेमाल को लेकर एमजीएम में 6 लोगों की टीम शोध कर रही है। इसमें माइक्रोबायोलॉजी विभागाध्यक्ष डॉ। रीता चौहान, असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ। प्याली गुप्ता सहित चार लोग शामिल है।

4-एमजीएम हॉस्पिटल में पेशेंट्स का आंकड़ा तैयार किया जाएगा। उन्होंने कौन-कौन सी एंटीबायोटिक दवाओं ली है और वह उनपर असर कर रहा या नहीं?

क्या-क्या बरतें सावधानी

- एंटीबायोटिक तभी लेनी चाहिए जब डॉक्टर ने कहा हो।

- डॉक्टर ने जितनी दिनों की दवाई दी हो, उतने दिन दवा लेनी चाहिए

- बीच में दवाई छोड़ने से बैक्टीरिया प्रतिरोधक क्षमता विकसित कर सकते हैं।

- जुकाम या फ्लू जैसे वायरसों से होने वाले संक्रमण में एंटीबायोटिक मददगार नहीं होते।

Posted By: Inextlive