- ई एफआईआर में दर्ज करने में पब्लिक को आ रही समस्या

-ज्यादा प्रॉब्लम साइबर सेल से जुड़े क्राइम की एफआईआर में आ रही

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LUCKNOW : फरियादी को एफआईआर दर्ज कराने के लिए थाने के चक्कर न लगाने पड़े इसके लिए पुलिस डिपार्टमेंट ने यूपी कॉप एप लांच किया। इतना ही नहीं एप का ज्यादा से ज्यादा लोग यूज करें इसके लिए इसकी जमकर ब्रांडिंग भी की जा रही है। इसका असर भी देखने को मिला। फरियादी थाने जाने की जगह ई एफआईआर के लिए यूपी कॉप एप का यूज कर रहे हैं, लेकिन टेक्निकल 'लोचा' की वजह से कई बार लोगों की ई एफआईआर रजिस्टर्ड नहीं हो रही है। खासतौर से साइबर फ्रॉड के मामले में है। ऐसे में शिकायतकर्ता रिपोर्ट दर्ज कराने को फिर से थाने के चक्कर लगाने को मजबूर हैं।

साइबर फ्रॉड के मामले में सबसे ज्यादा शिकायतें

साइबर फ्रॉड ज्यादातर पीडि़त के मोबाइल पर कॉल करने के बाद होता है। कॉल करने वाला फर्जी तरीके से बात कर पीडि़त से अकाउंट संबंधित डिटेल ले लेता है और फिर अकाउंट से कैश उड़ा देता है। साइबर फ्रॉड का शिकार पीडि़त मामले की ई एफआईआर दर्ज कराने को अपनी डिटेल एप में भरता है। इस दौरान वह जिस नंबर से मोबाइल पर कॉल आती है उसका विवरण एप में डालने के बाद उसे अपटेड करता है तो ई एफआईआर रिजेक्ट हो जाती है। वादी के पास वापस मैसेज आता है कि आप के प्रार्थना पत्र में अभियुक्त ज्ञात है या मोबाइल द्वारा बात की गई है। इस संबंध में संबंधित थाने में जाकर एफआईआर दर्ज कराएं।

फिर लगाने पड़ते हैं थाने के चक्कर

ई एफआईआर कैंसिल होने पर पीडि़त जब संबंधित थाने जाता है तो पहले उसे ई एफआईआर दर्ज कराने की नसीहत दी जाती है। इसके बाद प्रार्थना पत्र में घटनास्थल को लेकर उससे कई चक्कर लगाए जाते हैं। पुलिस घटना स्थल अन्य थाने में आने की बात कहकर पीडि़त को टरका देती है।

नामजद ई एफआईआर नहीं होती

यूपी कॉप एप में नियम है कि किसी भी मामले में नामजद एफआईआर नहीं हो सकती है। अंजान व्यक्ति द्वारा किए गए अपराध या फिर वादी के समस्या को संबंधित शिकायत ही दर्ज की जाती है। नामजद एफआईआर के लिए वादी को थाने जाकर ही रिपोर्ट दर्ज कराने का नियम है, जिससे पारदर्शिता बनीं रहे।

मोबाइल नंबर बन रहा 'लोचा'

साइबर फ्रॉड के ज्यादातर मामले मोबाइल फोन के जरिए होते हैं। ई एफआईआर के प्रार्थना पत्र में जैसे ही उक्त मोबाइल नंबर भरा जाता है तो एप मान लेता है कि वादी के पास आरोपी का मोबाइल नंबर है तो वह पूर्व परिचित है, जिसके चलते ई एफआईआर रिजेक्ट हो जाती है।

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डेट ऑफ बर्थ में भरने में मशक्कत

ई एफआईआर के लिए कई कॉलम भरने होते है, जिसे प्रार्थना पत्र का प्रारुप माना जाता है। कॉलम में नाम के बाद दूसरे नंबर पर वादी की डेट ऑफ बर्थ भरनी होती है। डेट ऑफ बर्थ भरने के लिए वादी को काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है। यदि किसी व्यक्ति की डेट ऑफ बर्थ 24 जुलाई 1978 है तो उसे उस डेट के लिए कैलेंडर सर्च करना पड़ता है। वह सीधे ईयर और डेट तक नहीं पहुंच सकता है।

रिपोर्ट दर्ज न होने से यह हो रहा नुकसान

साइबर फ्रॉड के ज्यादातर मामले में 24 घंटे के भीतर एफआईआर होने पर तत्काल एक्शन लिया जा सकता है। पीडि़त का साइबर फ्रॉड के जरिये उड़ाया गया पैसा वापस मिलने की प्रबल संभावना रहती है, लेकिन जब एक मोबाइल नंबर के चलते ई एफआईआर दर्ज नहीं होती तो थाने के चक्कर लगाने पड़ते है। इससे काफी समय बीत जाता है। इससे पीडि़त को फायदा नहीं मिल पा रहा है।

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इन मामलों में दर्ज कराएं ई एफआईआर

एप के जरिए व्यक्ति वाहन चोरी, वाहन लूट, स्नेचिंग, नकबजनी, बच्चों की गुमशुदगी, लूट, डकैती और साइबर क्राइम जैसे अपराध की ई एफआईआर दर्ज कराई जा सकती है। इसके अलावा करेक्टर सर्टिफिकेट, डोमेस्टिक हेल्प वेरीफिकेशन, इंप्लाई वेरीफिकेशन, टेनेंट वेरीफिकेशन, प्रोसेशन रिक्वेस्ट, प्रोटेस्ट या स्ट्राइक रिक्वेस्ट, इवेंट इनफॉर्मेस, फिल्म शूटिंग, पोस्टमार्टम रिपोर्ट, सीनियर सिटीजन शेयर इंफॉरमेशन रिपोर्ट मिसबिहेवियर, सर्च स्टेटस, इमरजेंसी हेल्पलाइन, अनआईडेंटीफाइड डेड बॉडीज, मिसिंग पर्सन, रिवार्डेड साइबर अवेयरनेस के ऑप्शन मौजूद हैं।

ऐसे करें एप डाउनलोड

अपने स्मार्ट फोन पर गूगल प्ले स्टोर से यूपी कॉप एप को इंस्टाल करें। स्क्रीन पर दिए एप के आइकॉन पर क्लिक करें। इंटरनेट कनेक्ट करते ही रजिस्ट्रेशन पर क्लिक कर पूछी गई जानकारी देकर अपना रजिस्ट्रेशन कराएं। रजिस्ट्रेशन के बाद मोबाइल नंबर और पासवर्ड डालते ही सामने 27 सुविधाओं के ऑप्शन होंगे

Posted By: Inextlive