सबसे कम उम्र की कैंसर पेशेंट जो जारी ट्रीटमेंट और अपनी बीमारी के चलते स्‍कूल नहीं जाती लेकिन बीते कुछ दिनों से वह लौट आई है अपने क्‍लासरूम में वापस। क्‍लासरूम में अपनी मौजूदगी के लिए वह धन्‍यवाद करती है अपने रोबोट का। ये हैं मेरीलैंड में मोंटगोमरी काउंटी से पेयटन वाल्टन। हाल ही में इनके लीवर कैंसर से पीड़ित होने की बात का खुलासा हो सका।

ऐसी है जानकारी
कुछ समय पहले इस बच्ची की कीमोथैरेपी शुरू की गई है। इस भयानक बीमारी से लड़ने के लिए इस नन्ही बच्ची को कई राउंड की रेडियोथैरेपी से होकर भी गुजरना पड़ा। इतनी दिक्कतों से जूझने के बाद भी पेयटन स्कूल जाने और पढ़ाई करने के लिए बेहद उत्सुक हैं और लौटना चाहती हैं मैरीलैंड स्थित अपने मॉन्टगोमेरी काउंटी स्कूल। अब उनकी इस इच्छा में कोई इंसान तो उनकी मदद नहीं कर सका, लेकिन हां, एक रोबोट बन गया इनका सहारा। इस रोबोट को पेयटन ने नाम दिया है पेयटन का ऑसम वर्चुअल सेल्फ (Peyton's Awesome Virtual Self)। इसको शॉर्ट फॉर्म में वह PAVS भी बुलाती हैं।

ऐसा बताते हैं स्कूल के प्रिंसिपल
स्कूल के प्रिंसिपल डॉगलस रॉबिंस ने बताया कि बच्ची को पहला शॉक पड़ने के बाद से अब अन्य छात्र उसे इस रोबोट की मदद से ही अपने बीच पाते हैं। रॉबिंस कहते हैं कि जैसे ही वे देखते हैं कि रोबोट हॉल वे के रास्ते में है, वह समझ जाते हैं कि पेयटन यहीं है। वह और बच्चों की तरह उन लोगों के बीच में ही है।

पेयटन रोबोट को करती है थैंक्स
पेयटन की इस रोबोट की बहुत ज्यादा शुक्रगुजार हैं, जिसकी मदद से उनकी बेटी अन्य 10 वर्षीय बच्चियों की तरह सामान्य व्यवहार कर पाती है। उनका कहना है कि ये रोबोट ही है जिसकी वजह से उसके होठों पर इस दर्द भरे वक्त में भी हंसी आ जाती है। बताया गया है कि PAVS को डिजाइन करने वाली डबल रोबोटिक्स कंपनी खास ऐसे ही रोबोट्स को बनाने में माहिर है, जो इस तरह के गंभीर रूप से बीमार बच्चों की मदद के लिए बनाया जाता है।

Courtesy by Mail Online

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Posted By: Ruchi D Sharma