भारत और अमरीका ने एक साझा बयान में आतंकवाद के पनाहगाहों को ख़त्म करने और अल क़ायदा और लश्कर-ए- तैय्यबा जैसे संगठनों को जड़ से उखाड़ने के संकल्प को दोहराया है.


दोनों ही देशों ने पाकिस्तान से अपील की है कि वो नवंबर 2008 में हुए मुंबई हमले के दोषियों को सज़ा दिलवाने के लिए कदम उठाए. साझा बयान में आतंकवादी संगठनों को मिलने वाली आर्थिक और रणनीतिक मदद पर लगाम कसने की भी बात की गई है.राष्ट्रपति बराक ओबामा और प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की द्विपक्षीय मुलाक़ात के बाद जारी इस बयान में जम्मू कश्मीर के सांबा इलाके में हुए चरमपंथी हमले की भी कड़ी निंदा की गई है.'आतंकवादी शक्तियां सक्रिय'ओबामा के साथ मुलाक़ात के फ़ौरन बाद मनमोहन सिंह ने कहा कि पाकिस्तान के साथ होने वाली बातचीत से बहुत ज़्यादा उम्मीद नहीं रखी जा सकती क्योंकि “आतंकवादी शक्तियां अभी भी वहां पूरी तरह से सक्रिय हैं.”
प्रधानमंत्री ने राष्ट्रपति ओबामा के साथ हुई द्विपक्षीय बातचीत में कहा है कि कि पूरे क्षेत्र की शांति की राह में जिस तरह की मुश्किलें आ रही हैं उसकी एक बड़ी वजह है कि “पाकिस्तान अभी भी आतंकवाद का केंद्र बिंदु बना हुआ है.”इससे पहले, पाकिस्तानी प्रधानमंत्री नवाज़ शरीफ़ ने भी संयुक्त राष्ट्र में अपने भाषण में कश्मीर का मामला उठाया और संयुक्त राष्ट्र की मध्यस्थता की मांग की और कहा कि कश्मीरियों की समस्या को अनदेखा नहीं किया जा सकता.


विशेषज्ञों का कहना है कि न्यूयॉर्क में होनेवाली भारत पाकिस्तान द्विपक्षीय वार्ता के ठीक दो दिन पहले दोनों ही पक्षों की ओर से इस तरह की बयानबाज़ी से तो यही लग रहा है कि बातचीत से कुछ ख़ास हासिल नहीं होने जा रहा.भारत में विपक्षी भारतीय जनता पार्टी पहले से ही नवाज़ शरीफ़ के साथ बातचीत करने के फ़ैसले की आलोचना कर रही है. भारतीय विदेश मंत्री सलमान खुर्शीद ने उस आलोचना के जवाब में कहा है कि बातचीत होगी तभी शिकायत भी की जा सकती है और इसलिए ये फ़ैसला ग़लत नहीं है.भारत-अमरीका संबंधवहीं प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और राष्ट्रपति ओबामा ने वाशिंगटन में अपनी मुलाकात के बाद भारत-अमरीका रिश्ते की अहमियत को रेखांकित किया और इसे और मज़बूत करने के संकल्प को दोहराया.राष्ट्रपति ओबामा का कहना था कि दक्षिण एशिया में शांति भारत और अमरीका दोनों ही के लिए बेहद अहम है क्योंकि अमरीका अफ़गानिस्तान से अपनी फ़ौज की वापसी की प्रक्रिया शुरू कर रहा है.राष्ट्रपति ओबामा का कहना था, “अफ़गानिस्तान एक शांतिपूर्ण लोकतंत्र की राह पर लौटे इसे सुनिश्चित करने में हम दोनों का ही फ़ायदा है.”

उन्होंने प्रधानमंत्री की इस बात के लिए सराहना की कि वो लगातार “भारत पाकिस्तान के बीच सहयोग बढ़ाने की कोशिश करते रहे हैं.”परमाणु समझौताराष्ट्रपति ओबामा ने कहा कि भारत और अमरीका के बीच आर्थिक सहयोग और परमाणु समझौते के क्षेत्र में काफ़ी तरक्की हुई है.उनका कहना था कि दो दिन पहले ही भारत और अमरीका ने परमाणु उर्जा के क्षेत्र में पहली कमर्शियल डील पर हस्ताक्षर किए हैं.भारत अमरीका परमाणु समझौते के बाद से ही अमरीकी कंपनियों की बड़ी शिकायत थी कि उन्हें इसका कोई फ़ायदा नहीं मिल पाया.अभी भी इस नई डील को कार्यान्वित करने में महीनों लग सकते हैं क्योंकि भारतीय क़ानून के अनुसार परमाणु उर्जा से जुड़ी किसी दुर्घटना में बड़ी जवाबदेही उस संयंत्र को लगानेवाली विदेशी कंपनी की होगी और ये क़ानून अमरीकी कंपनियों को रास नहीं आ रहा है.ओबामा ने अमरीका के भारतीय-अमरीकी समुदाय के योगदान की काफ़ी तारीफ़ और कहा कि इस बार की मिस अमरीका भी भारतीय मूल की हैं.दोनों ही देशों के बीच पिछले महीनों में आर्थिक नीति से जुड़े कई मतभेद उभरे हैं और दोनों ही नेताओं ने उन सबका बिना कोई ज़िक्र किए सकारात्मक पहलूओं पर रौशनी डालने की पुरज़ोर कोशिश की.
मनमोहन सिंह शुक्रवार की शाम को ही न्यूयॉर्क के लिए रवाना हो जाएंगे जहां शनिवार को वो संयुक्त राष्ट्र की सभा को संबोधित करेंगे.

Posted By: Satyendra Kumar Singh