-एनसीजेडसीसी की ओर से माघ मेला में चल रहा चलो मन गंगा यमुना तीर प्रोग्राम

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PRAYAGRAJ: उत्तर मध्य क्षेत्र सांस्कृतिक केन्द्र की ओर से आयोजित 'चलो मन गंगा यमुना तीर' के सातवें दिन विभिन्न आयोजन हुए। इस दौरान लोगों को पारंपरिक चैती गायन, ब्रज का कृष्ण, राधा व गोपियों की प्रेम व सख्य भाव को समर्पित रसिया गीत के रंग देखने को मिले। लुप्त कला विधाओं में एक नऊआ झाकड़ गायन, हरियाणा, उड़ीसा, झारखंड, राजस्थान, बुन्देलखण्ड अंचल के फोक डांस ने लोगों का दिल जीत लिया। धर्म के साथ देश की कल्चरल विविधता ने संगम की रेती पर लोक कलाओं के जादूभरे रंगों को लोगों के सामने प्रस्तुत किया।

बिरहा और भोजपुरी से हुई शुरुआत

10 दिवसीय 'चलो मन गंगा यमुना तीर' कार्यक्रम के सातवें दिन की शुरुआत कल्चरल प्रोग्राम्स से हुई। जिले के फोक आर्टिस्ट्स द्वारा सुगम संगीत, लोकगीत, बिरहा गायन व भोजपुरी लोकगीतों से हुई। शाम को कल्चरल इवनिंग के तहत वाराणसी में चलाए जा रहे व्याख्या केंद्र के ट्रेनी बच्चों द्वारा चैती गायन की प्रस्तुति दी। मथुरा से आई कलाकार सीमा मोरवाल एवं दल द्वारा राधाकृष्ण एवं गोपियों को समर्पित 'रसिया गायन' की प्रस्तुति दी। ब्रज क्षेत्र की इस पारम्परिक गायन विधा के आध्यात्मिकता से उपस्थित श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया। जौनपुर क्षेत्र की लुप्त होती विधा 'नऊआ झाकड़' की प्रस्तुति को भी लोगों ने खूब पसंद किया। प्रादेशिक लोकनृत्यों की प्रस्तुति के क्रम में हरियाणा के रोहतक से आए कलाकारों द्वारा शादी एवं मांगलिक अवसरों पर होने वाला 'धूमर' लोकनृत्य, उड़ीसा के कलाकारों द्वारा मंदिरों का मनोहारी लोकनृत्य 'गोटीपुआ', झारखंड के जनजातीय कलाकारों द्वारा रामायण-महाभारत की कथाओं पर आधारित छाऊ एवं युद्धकला पर आधारित 'पैका' लोकनृत्य की प्रस्तुतियों से उपस्थित दर्शकों को रोमांचित किया।

Posted By: Inextlive