देश के सबसे चर्चित बेहमई कांड में सोमवार को फैसला आ सकता है। 39 साल पहले दस्यु सुंंदरी फूलन देवी और उसके गिरोह ने कानपुर देहात के बेहमई गांव में 25 लोगों को लाइन में खड़ाकर गोली मार दी थी। जिसमें 20 लोगों की मौत हो गई थी जबकि पांच ग्रामीण बच गए थे।


कानपुर (ब्यूरो)। इन चश्मदीद पांचों ग्रामीणों में तीन की ट्रायल के दौरान मौत हो गई, जबकि दो अभी जिंदा है। इन दोनों ने कोर्ट में गवाही दी है। वहीं इस हत्याकांड में 30 से 35 अज्ञात डकैतों के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कराई गई थी। जिसमें सिर्फ चार आरोपी ही जिंदा है। अब देखना है कि कोर्ट क्या फैसला सुनाती है। इस फैसले पर बेहमई गांव से लेकर पूरे देश की नजर टिकी है।सामूहिक दुष्कर्म का बदला
फूलनदेवी डकैत विक्रम मल्लाह के गिरोह में थी। इस गिरोह की श्रीराम और लालाराम गैैंग से रंजिश चलती थी। फूलन देवी ने श्रीराम और लालाराम गैैंग से जुड़े बाबू गुर्जर की हत्या कर दी थी। इसका बदला लेने के लिए श्रीराम और लालाराम ने विक्रम मल्लाह की हत्या कर दी। इसके बाद गैैंग की कमान फूलन देवी के पास आ गई तो श्रीराम और लालाराम ने फूलनदेवी को किडनेप कर बेहमई गांव में तीन हफ्ते तक बंधक बनाकर रखा था। इस दौरान दोनों ने साथियों साथ मिलकर फूलनदेवी का गैैंगरेप किया। इसके बाद उसको नग्न हालत में गांव में घुमाया गया था। फूलनदेवी किसी तरह उसके चंगुल से भागकर गैैंग के पास पहुंच गई, फिर उसने बेहमई गांव में धावा बोलकर सामूहिक दुष्कर्म का बदला लेने के लिए 25 लोगों को लाइन में खड़ा करके गोली मार दी थी। इसमें पांच ग्रामीण बच गए थे, जबकि 20 मौके पर ही मौत हो गई थी।इन लोगों की हत्या हुई थीबेहमई कांड में जगन्नाथ सिंह, तुलसीराम, सुरेंद्र सिंह, राजेद्र सिंह, लाल सिंह, रामधार सिंह, वीरेंद्र सिंह, शिवराम सिंह, रामचंद्र सिंह, शिव बालक सिंह, नरेश सिंह, दशरथ सिंह, बनवारी सिंह, हिम्मत सिंह, हरिओम सिंह, हुकुम सिंह समेत 20 लोगों की हत्या की गई थी। जंटर सिंह समेत 5 ग्रामीण घायल हुए थे।जमीन की रंजिश में बनी डकैतजालौन कालपी के पास यमुना किनारे शेखपुर गांव निवासी थी फूलन देवी। फूलन देवी के चाचा ने उसके परिवार की 11 बीघा जमीन पर कब्जा कर लिया था। आरोप है कि इसी रंजिश की वजह से चाचा ने फूलन देवी को फर्जी मुकदमे में फंसाकर जेल भेज दिया था। जेल में ही फूलन की मुलाकात कुछ डकैतों से हो गई। जेल से छूटने के बाद फूलनदेवी बीहड़ जाकर डकैत बन गई और उसका यूपी समेत मध्यप्रदेश में आतंक हो गया।बैैंडिट क्वीन नाम मिला


बेहमई गांव में एक साथ 20 लोगों की हत्या से यूपी समेत पूरा देश हिल गया था। यह मामला मीडिया की सुर्खियों में आ गया। फूलनदेवी के नाम ईनाम घोषित किया गया, लेकिन पुलिस उसको पकड़ नहीं पाई। इसके बाद फूलन देवी का आतंक यूपी के साथ मध्यप्रदेश में भी हो गया। इस दौरान मीडिया ने फूलन देवी का नाम बैैंडिट क्वीन रख दिया। इस नाम से उसकी खबरें प्रकाशित की जाने लगी।पॉलिटिक्स में एंट्री, मूवी भी बनीबेहमई कांड के बाद यूपी के साथ मध्यप्रदेश की पुलिस फूलनदेवी के पीछे लग गई। तभी फूलन देवी ने मध्यप्रदेश में गिरोह के साथ सशर्त सरेंडर कर दिया। फूलनदेवी पर 22 हत्या, 11 डकैती और 18 अपहरण के मुकदमे दर्ज थे। उसको 11 साल जेल में रहना पड़ा था। यूपी में सपा मुखिया मुलायम सिंह यादव की सरकार आई। इस दौरान फूलनदेवी की जमानत हो गई तो सपा मुखिया ने उसको पार्टी का टिकट देकर सांसद का चुनाव लड़ा दिया। वह दो बार सांसद का चुनाव जीतकर लोकसभा पहुंची थी।फूलनदेवी को मारकर बदला लियादिल्ली के अशोक रोड पर फूलनदेवी को आवास मिला था। 25 जुलाई, 2001 को शेर सिंह राणा नाम का युवक मिलने आया था। फूलनदेवी ने उसको खीर भी खिलाई थी। जिसे खाने के बाद शेर सिंह ने फूलनदेवी की गोली मारकर हत्या कर दी।35 डकैतों में चार ही जिंदा

बेहमई कांड की रिपोर्ट गांव के राजाराम ने फूलनदेवी समेत 30 से 35 अज्ञात डकैतों के खिलाफ दर्ज कराई थी। जिसमें अब सिर्फ चार आरोपी भीखा, श्यामबाबू, विश्वनाथ उर्फ पूतानी और पोसा ही जिंदा है। इसमें पोसा जेल में है, जबकि अन्य तीन जमानत पर बाहर है। डीजीसी राजू पोरवाल ने बताया कि फूलनदेवी समेत 15 आरोपियों की सुनवाई के दौरान मौत हो चुकी है। 2012 में आरोप तय हुए थे। कोर्ट ने गवाही पूरी होने पर फैसले के लिए 6 जनवरी की तारीख मुकर्रर की है।kanpur@inext.co.in

Posted By: Satyendra Kumar Singh