-पूर्व वीएचपी प्रमुख अशोक सिंहल की अस्थि कलश यात्रा में उमड़ा जन समूह

-जय श्रीराम के जयघोष के बीच संगम में विसर्जित की गई अस्थियां

ALLAHABAD: आंखों में नमी और दिल में श्रद्धा संग लोग श्री राम मंदिर आंदोलन में प्रमुख भूमिका निभाने वाले और आजीवन हिन्दुत्व के प्रति समर्पित रहे हिन्दू हृदय सम्राट अशोक सिंहल को अपनी श्रद्धांजलि देने पहुंचे। विश्व हिन्दू परिषद के पूर्व प्रमुख की अस्थियां सोमवार की सुबह प्रयाग राज एक्सप्रेस से संगम नगरी पहुंचीं। उनके इंतजार में जंक्शन पर सुबह से ही भारी भीड़ जमा थी। पूरे शहर में भ्रमण के बाद जय श्री राम के जयघोष के बीच अशोक सिंहल की अस्थियों को संगम में विसर्जित किया गया। इस मौके पर भाजपा, वीएचपी व संघ के तमाम पदाधिकारी और आम जन मौजूद रहे।

शहर में निकली अस्थि कलश यात्रा

विश्व हिन्दू परिषद को अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाने वाले वीएचपी के संरक्षक रहे अशोक सिंहल की अस्थि कलश यात्रा इलाहाबाद स्टेशन से शुरू हुई। इसके बाद यात्रा जानसेनगंज के रास्ते से नवाब यूसुफ रोड से होते हुए रॉयल होटल, राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ कार्यालय, सुभाष चौराहा, हनुमान मंदिर होते हुए विश्व हिन्दू परिषद कार्यालय केसर भवन पहुंची। यहां अस्थि कलश को लोगों के अंतिम दर्शन के लिए रखा गया। इस मौके पर आम लोगों के साथ ही राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के पदाधिकारी, कार्यकर्ताओं के साथ ही भारतीय जनता पार्टी व विश्व हिन्दू परिषद के भी कई सीनियर पदाधिकारी मौजूद रहे। केसर भवन में रखे अस्थि कलश पर लोगों ने अपने श्रद्धा फूल चढ़कर अपनी कृतज्ञता अर्पित की। इस मौके पर अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष व बाघम्बरी मठ के महंत नरेन्द्र गिरी जी महाराज के साथ ही शंकराचार्य स्वरूपानंद जी महाराज, वीएचपी के अंतरराष्ट्रीय महासचिव चंपत राय, भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष लक्ष्मी कांत बाजपेयी, वीएचपी के प्रांतीय उपाध्यक्ष पुनीत वर्मा के अलावा कई मठों के पीठाधीश्वर व बड़ी संख्या में संत समुदाय को लोग मौजूद रहे। केसर भवन में आयोजित कार्यक्रम के दौरान लोगों ने अशोक सिंहल के जीवन से जुड़े विभिन्न संस्मरणों को सबके समक्ष रक्षा।

'मंदिर वहीं बनाएंगे'

विश्व हिन्दू परिषद के संरक्षक रहे अशोक सिंहल की अस्थि कलश यात्रा के दौरान लोगों ने 'राम लला हम आएंगे, मंदिर वहीं बनाएंगे' जैसे कई नारे लगाए। अस्थि कलश यात्रा केसर भवन से दोबारा शुरू होकर इंडियन प्रेस चौराहा, बालसन संघ प्रार्थना स्थल, मेडिकल चौराहा, सोहबतियाबाग, अलोपीबाग, दारागंज स्टेशन होते हुए संगम पहुंची। जहां बीजेपी सांसद केशव प्रसाद मौर्या व बाघम्बरी मठ के महंत स्वामी आनंद गिरी जी महाराज समेत अन्य संतों व वीएचपी नेताओं के साथ मिलकर संगम में अशोक सिंहल की अस्थियों को विसर्जित किया। इस अवसर पर संगम पर भी घाट के किनारे अशोक सिंहल के समर्थकों का हुजूम उमड़ता रहा।

विभिन्न संगठनों ने दी श्रद्धांजलि

विश्व हिन्दू परिषद के अतर्राष्ट्रीय संरक्षक रहे अशोक सिंहल के अस्थि कलश पर श्रद्धांजलि देने वालों का तांता लगा रहा। शिव सेना उत्तर प्रदेश की ओर से प्रदेश प्रतिनिधि मंडल ने प्रदेश संयुक्त सचिव प्रदीप चौरसिया के नेतृत्व में केसर भवन पहुंचकर अपनी श्रद्धांजलि दी। इस मौके पर प्रदेश सचिव मिलन साहू, पंकज श्रीवास्तव समेत अन्य लोग मौजूद रहे। भारतीय जनता पार्टी के नेता योगेश शुक्ला ने भी अपने श्रद्धासुमन अर्पित किए। उधर, तीर्थ पुरोहित परिषद की ओर से भी संगम तट पर अशोक सिंहल की अस्थियों पर पुष्पांजलि अर्पित करके अपनी श्रद्धांजलि दी गई।

इनसेट

संगम नगरी से गहरा नाता था सिंहल का

आगरा में जन्में विश्व हिंदू परिषद के पूर्व अंतरराष्ट्रीय संरक्षक अशोक सिंहल का संगम नगरी से भी गहरा लगाव था। महज 15 साल की उम्र में वह अपने माता-पिता के साथ इलाहाबाद में बस गए थे। हाशिमपुर रोड पर उनका पैतृक आवास महावीर भवन जो उनके पिता महावीर सिंहल के नाम पर है। अशोक सिंहल ने महावीर भवन के दो हिस्से दान कर दिए थे। भवन के एक हिस्से में अरुंधती वशिष्ठ नाथ पीठ का संचालन होता है। इसके अलावा इसी परिसर में एक भवन का निर्माण कर उसे भी दान कर दिया गया। भवन के एक हिस्से में उन्होंने अपने गुरु की मूर्ति स्थापित की थी। यहां आश्रम का संचालन होता है।

वाराणसी से ली थी इंजीनियरिंग की शिक्षा

विश्व हिंदू परिषद के अंतरराष्ट्रीय संरक्षक अशोक सिंहल का जन्म सन 1926 में आगरा में हुआ था। उन्होंने बीएचयू वाराणसी से 1950 में मेटालरजिकल इंजीनियरिंग की बैचलर डिग्री प्राप्त की थी। वह पिछले 65 वर्ष से बतौर राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के प्रचारक उन्होंने देश, धर्म, समाज और संस्कृति की रक्षा के लिए अपना सारा जीवन समर्पित कर दिया।

1981 में विहिप का दामन थामा

विश्व हिंदू परिषद की स्थापना 1964 में हुई थी। 1981 में मीनाक्षीपुरम में विहिप के एक कार्यक्रम के दौरान वह संगठन से बतौर जनरल सेक्रेटरी जुड़ गए। दलितों को क्रिश्चियन धर्म में धर्मातरण के वह विरुद्ध थे, उनके नेतृत्व में विहिप ने दलितों के लिए विशेष दो सौ मंदिरों का निर्माण कराया। 2011 में स्वास्थ्य खराब होने के चलते प्रवीणजी तोगडि़या को सिंहल की जगह विहिप के अंतरराष्ट्रीय अध्यक्ष का दायित्व दिया गया। सिंहलजी ने बीस वर्षो तक इस पद को सुशोभित किया था।

जन्म- 15 सितंबर 1926

जन्मस्थली-आगरा

मृत्यु- 17 नवंबर 2015, मेदांता हॉस्पिटल, गुड़गांव

Posted By: Inextlive