केंद्र सरकार न्‍यूनतम पेंशन 1000 रुपये से बढ़ाकर 2000 रुपये कर सकती है। पेंशन दोगुना करने का काम ईपीएफओ कर रहा है। उम्‍मीद है कि सरकार इस मसौदे पर आम चुनाव से पहले अंतिम फैसला ले सकती है। फिलहाल 2014 में कैबिनेट ने एक साल के लिए न्‍यूनतम पेंशन 1000 रुपये प्रति महीने कर दिया था जिसकी अवधि 2015 में अनिश्चित काल के लिए बढ़ा दी गई थी।


सरकारी खजाने पर 3000 करोड़ रुपये का बोझएक अंग्रेजी बिजनेस न्यूज पेपर में छपी रिपोर्ट के अनुसार, केद्र सरकार यदि ईपीएफओ की प्लानिंग को मंजूरी देती है तो उसके खजाने पर हर वर्ष 3000 रुपये का अतिरिक्त बोझ बढ़ जाएगा। 2014 में कैबिनेट ने एक साल के लिए बढ़ाकर न्यूनतम पेंशन 1000 रुपये प्रति माह कर दिया था। 2015 में इस अवधि को सरकार ने अनिश्चित काल के लिए बढ़ा दिया था। इससे सरकार के खजाने पर हर साल 813 करोड़ रुपये का बोझ पड़ रहा है।बोर्ड ऑफ ट्रस्टीज के सामने रखेंगे प्रस्ताव
रिपोर्ट में ईपीएफओ के एक अधिकारी के हवाले से लिखा गया है कि संस्थान पेंशन की राशि दोगुना बढ़ाने पर काम कर रहा है। काम पूरा होने के बाद प्रस्ताव सेंट्रल बोर्ड ऑफ ट्रस्टीज के सामने रखा जाएगा। ईपीएफ-95 के तहत 60 लाख पेंशनर्स हैं जिनमें से 40 लाख को 1500 रुपये से कम की पेंशन मिलती है। 18 लाख ऐसे हैं जिन्हें न्यूनतम पेंशन 1000 रुपये का फायदा मिल रहा है। सरकार के पास 3 लाख करोड़ रुपये का पेंशन फंड है जिसमें से वह सालाना 9000 करोड़ रुपये का भुगतान करती है।हर ओर से मासिक पेंशन बढ़ाने का दबाव


सरकार पर हर तरफ से मासिक पेंशन बढ़ाने का दबाव बना हुआ है। ट्रेड यूनियंस और ऑल इंडिया ईपीएस-95 पेंशनर्स संघर्ष समिति ने तो सरकार को न्यूनतम पेंशन की राशि बढ़ाकर 3000 रुपये से 7500 रुपये करने का काफी समय से दबाव बना हुआ है। नई दिल्ली में पेंशनर्स के एक विरोध प्रदर्शन के बाद से हाल ही में संसदीय समिति ने भी सरकार को ईपीएफ-95 की समीक्षा करने को कहा था। श्रम पर संसद की स्थाई समिति ने 34वीं रिपोर्ट पेश की थी। रिपोर्ट में इस बात का साफ जिक्र था कि न्यूनतम पेंशन की राशि 1000 रुपये बहुत कम है। इससे पेंशनर्स की बुनियादी जरूरतें भी पूरी नहीं हो सकतीं।

Posted By: Satyendra Kumar Singh