डर एक ऐसी समस्‍या है जो कभी भी किसी को हो सकती है। अक्‍सर लोग इससे बचने की पूरी कोशिश करते हैं लेकिन बच नहीं पाते हैं। इसके पीछे माना जाता है कि ये अनुवांशिक भी होता है। इसके अलावा डर के प्रकार भी कई तरह के होते हैं। ऐसे में आइए जानें आज डर के बारे में कुछ खास बातें...


अनुवांशिक होता डर:अब तक कई वैज्ञानिकों ने इसका दावा किया है कि डर अनुवांशिक होता है। रिसर्च में स्टैथमिन नामक जींस का खुलासा हो चुका है कि यह डर को बढ़ाता है। यह एक पीढ़ी से दूसरी पीढी को अपनी चपेट में आसानी से ले लेता है। अक्सर लोगों में जानवरों के आने का खतरा, चोर लुटेरों का खतरा या फिर किसी हादसे का भय हर वक्त रहता है। भले ही वह कहीं किसी भीड़ वाली जगह पर कई लोगों से घिरे ही क्यों न हों। सच का डर:
एक शोध में यह बात भी साफ हो चुकी है कि लोग सच्चाई से बेहद डरते हैं। बहुत से लोग ऐसे होते हैं जो जीवन की सच्चाई, दुख, परेशानी के बारे में सोचकर परेशान होते हैं। उन्हें जिंदगी मकड़ी के जाले की तरह उलझी नजर आती है। वे बिग ड्रीम और क्रिएशन करने की तो सोचते तो हैं लेकिन उसके बाद यह भी सोचते हैं कि कहीं यह न हो पाया तो क्या होगा। इसके अलावा किसी छोटी परेशानी में भी पिछले बड़े हादसे याद करने लगते हैं। नसों में होता डर:


एक शोध में यह भी साफ हो चुका है कि डर इंसान की नसों में होता है। कुछ भी बुरी बातें सोचने पर अपने आप बिना किस घटना के लोग चिड़चिड़ाने लगते हैं। चूहों पर शोध में यह दिखाई दिया है कि दिमाग में Hyperventilating नस इन हालातो में कोई एक्टिविटी नहीं कर पाती है। वहीं दिमाग में एक अखरोट के बराबर के स्थान में डर से जुड़ी चीजें संचित रहती हैं। जो कई बार इंसान बुरा प्रभाव छोड़ती हैं। डर एक संक्रामण:डर का अहसास सुनकर और सूंघ कर भी किया जा सकता है। जानवरों में भी इसकी क्षमता होती है। वहीं अक्सर देखने को मिलता है कई बार किसी चीज की महक से अपने आप दिमाग में डर दौड़ जाता है। किसी तार आदि के जलने की महक पर नाक से डर का अहसास अपने आप होता है। उसी तरह एक भीड़ में किसी एक आवाज पर भगदड़ मच जाती है। लोगों में उस एक आवाज को सुनने के बाद डर तेजी से फैल जाता है।

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Posted By: Shweta Mishra