अमरनाथ यात्रियों पर चरमपंथियों के हमले के बाद इस यात्रा की सुरक्षा व्यवस्था को लेकर एक बार फिर सवाल उठ रहे हैं। 15 साल के बाद चरमपंथियों ने अमरनाथ यात्रियों को निशाना बनाया है।अमरनाथ यात्रा की क्या अहमियत है और इसको लेकर किस तरह की सुरक्षा व्यवस्था की जाती है अमरनाथ यात्रा से जुड़ी हर बात एक नज़र में…

क्या है सुरक्षा व्यवस्था
हालांकि भारत प्रशासित कश्मीर में मौजूदा तनाव को देखते हुए इस साल इस यात्रा में कड़ी सुरक्षा व्यवस्था की गई है। इस यात्रा की शुरुआत से पहले सुरक्षा बलों ने मीडिया को जो जानकारी दी थी उसके मुताबिक 300 किलोमीटर लंबे रूट के लिए सेना, पैरामिलिट्री फ़ोर्स और राज्य पुलिस के क़रीब 14 हज़ार जवानों को तैनात किया गया है।

सेना की दो बटालियनों के अलावा सीआरपीएफ़ और बीएसएफ़ की 100 टुकड़ियों को तैनात किया गया है। यह संख्या पिछले साल अमरनाथ यात्रा की सुरक्षा कर रहे जवानों की तुलना में दोगुनी है।

कश्मीर में मौजूदा तनाव को देखते हुए सुरक्षा बलों को किसी चरमपंथी हमले की आशंका पहले से थी, लिहाजा इस बार ज़्यादा सुरक्षा बलों को अत्याधुनिक तकनीकों से भी लैस किया गया था। अलग से बटालियनों को कवर अप के लिए भी तैनात रखा गया।

 

गुफा की क्या अहमियत
किवंदती ये है कि इस गुफ़ा में शिव ने अपने अस्तित्व और अमरत्व के रहस्य के बारे में पार्वती को बताया था। इस गुफा का जिक्र कश्मीरी इतिहासकार कल्हण की 12वीं सदी में रचलित महाकाव्य राजतरंगिणी में भी है। हालांकि इसके बाद लंबे समय तक इस गुफा से जुड़ी कोई जानकारी उपलब्ध नहीं है।

इस गुफा की छत से बूंद बूंद पानी टपकता है जो फ्रीजिंग प्वाइंट पर जमते हुए एक विशालकाय कोन के आकार की आकृति बनाता है जिसे हिंदू शिवलिंग का रूप मानते हैं। जून से अगस्त के बीच इस आकृति का आकार थोड़ा छोटा हो जाता है। शिवलिंग के साथ गणेश और पार्वती की बर्फ़ से बनी मूरत भी नज़र आती है।

इसके दर्शन के लिए हर साल लाखों हिंदू अमरनाथ यात्रा के लिए अपना पंजीयन कराते हैं।

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Posted By: Chandramohan Mishra