तुर्की की एक स्‍थानीय अदालत ने सोशल नेटवर्किंग वेबसाइट टि्वटर और यू-ट्यूब के इस्‍तेमाल पर पाबंदी लगा दी है. जिसके बाद वहां के लोगों ने इस फैसले का विरोध करना शुरु कर दिया.

सोशल साइट पर खुली थी पोल
दरअसल इस पूरे मामले में सरकार का काफी अहम रोल रहा है. मार्च 2014 में तुर्की के एक स्थानीय चुनाव के दौरान तत्कालीन सरकार के कुछ लोगों के करेप्शन का मामला सोशल साइट पर जमकर वायरल होने से हंगामा मच गया था. उस दौरान प्रधानमंत्री तैयप अर्दोगन ने मामला खुलते ही इन साइटों पर अस्थाई रूप से रोक लगा दी थी. जिसके बाद जनता ने काफी हंगामा खड़ा किया था. हालांकि सरकार ने लोगों को शांत कराकर कड़े फैसले लेने शुरु कर दिए और कोर्ट में इसके अगेंस्ट शिकायत कर दी. इसके बाद कोर्ट ने इस शिकायत को ध्यान में रखते हुए इन साइटों पर बैन लगा दिया. गौरतलब है कि तुर्की सरकार को इस फैसले के कारण इंटरनेशनल लेवल पर विरोध झेलना पड़ा था.

तुर्की के दूरसंचार विभाग ने साधी चुप्पी

आज के समय में सोशल नेटवर्किंग साइट्स का यूज काफी होने लगा है. अब ऐसे में जहां एक ओर इसका तेजी से विस्तार हो रहा है वहीं तुर्की जैसे देशों में इन साइटों पर रोक लगाना वाकई अजीब फैसला है. फिलहाल इस मामले में तुर्की के दूरसंचार विभाग ने अभी चुप्पी साध रखी है. उनकी ओर से कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है. लेकिन इतना तो तय है कि, वहां कि आम जनता इसका कड़ा विरोध जरूर करेगी.

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Posted By: Abhishek Kumar Tiwari