अमेरिका और यूरोपीय संघ ने रक्षा वित्‍त और ऊर्जा क्षेत्रों में रूस पर अपने सभी प्रतिबंधों को तेज करने का मन बना लिया है. यह डिसीजन यूक्रेन में रूस की अवैध कार्रवाई की सजा के तौर पर करने पर किया गया है.

प्रतिबंधों की लगी झड़ी
यूरोपीय संघ ने यूक्रेन के मामले में रूस की भूमिका को देखते हुये उस पर कई तरह के प्रतिबंध लगाये हैं, जो शुक्रवार से ही प्रभावी होंगे. यूरोपीय संघ ने रूस की सरकारी कंपनियों को वित्तिय मदद देने पर प्रतिबंध लगा दिया है और वहां के कुछ दिग्गज राजनीतिज्ञों की संपत्ति जब्त कर ली है. संघ ने हालांकि कहा है कि अगर रूस संघर्ष विराम के नियमों का पालन करता है और शांतिवार्ता को समर्थन देता है, तो कुछ सप्ताह में उस पर लगे सभी प्रतिबंध हटा लिये जायेंगे.
यूक्रेन की अखंडता को हो सम्मान
ओबामा ने एक वक्तव्य में कहा कि मैंने इस संकट की शुरूआत से ही कहा है कि हम बातचीत के जरिये एक राजनैतिक समाधान चाहते हैं, जिसमें यूक्रेन की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान हो. जी-7 और यूरापीय भागीदारों और हमारे अन्य सहयोगियों के साथ हमने यह स्पष्ट कर दिया है कि हम रूस पर जबर्दस्त जुर्माना लगानं को तैयार हैं. उन्होंने कहा कि अमेरिका और यूरोपीय संघ इन नये कदमों को विगत महीने में यूक्रेन को और अस्थिर करने की रूस की कार्रवाई के आलोक में लागू कर रहे हैं.
क्या है प्रतिबंध
यूरोपीय संघ ने रूस की कुछ शस्त्र निर्माण कंपनियों पर ईयू के वित्तीय बाजार के उपयोग पर प्रतिबंध लगा दिया गया है. जिनमें मिग विमान और सुखोई विमान बनाने वाली कंपनियां शामिल हैं. इनके अलावा तेल कंपनी रोसनेफ्ट, पाइपलाइन कंपनी ट्रांसनेफ्ट और गैस कंपनी गाजप्रोम की तेल ईकाई गाजप्रोम नेफ्ट पर भी ऐसे ही प्रतिबंध लगाये गये हैं.  

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Posted By: Abhishek Kumar Tiwari