AGRA 9 Feb. : स्टूडेंट्स के फ्यूचर से खिलवाड़ करने के मामले में डॉ. बीआर अम्बेडकर यूनिवर्सिटी आगरा यूनिवर्सिटी का अपना रिकॉर्ड है. टाइम से एग्जाम नहीं. अगर एग्जाम हो गए तो टाइम से रिजल्ट नहीं आएगा. रिजल्ट आ भी गया तो कोई गारंटी नहीं कि एग्जाम देने के बाद भी स्टूडेंट को सभी स?जेक्ट के नम्बर पूरी ईमानदारी से मिलेंगे. फेल तो दूर पासिंग माक्र्स वाले स्टूडेंट्स को भी मार्कशीट के लिए यहां चक्कर कटवाकर फ्यूचर बर्बाद करने में कोई कमी नहीं छोड़ी जाती है. यूनिवर्सिटी की इसी कार्यशैली से परेशान स्टूडेंट्स की ओर से दायर किए गए केस में यूनिवर्सिटी हार गई है.


दिया था एग्जाम मामला आरबीएस कॉलेज से संबंधित है। स्टूडेंट विजय यादव ने 2009 में एमकॉम फाइनल का एग्जाम दिया था। रिजल्ट निकला और स्टूडेंट को उसकी मार्कशीट थमा दी गयी। लेकिन इस मार्कशीट में स्टूडेंट को मार्डन मार्केटिंग स्टडीज एंड एप्लीकेशन स?जेक्ट में गैर हाजिर दिखाते हुए फेल घोषित कर दिया। मांगा रिकॉर्ड तो दिए एवरेज नम्बरपेपर देने के बाद भी अनुपस्थित और उसी के आधार पर मार्कशीट में खुद को फेल देखकर स्टूडेंट्स बहुत परेशान हुआ। खुद के द्वारा दिए गए एग्जाम को साबित करने के लिए जब उसने एग्जाम की डिटेल मांग ली तो  यूनिवर्सिटी ने एक नई करामात कर दी। इस बार उसे एवरेज 30 नम्बर दे दिए और फिर रिजल्ट में उसे फेल डिक्लेयर कर दिया। नहीं दी री की मार्कशीट
इन हालातों के चलते पीडि़त स्टूडेंट ने एक बार फिर से री एग्जाम देने का मन बना लिया। अपना रिजल्ट अच्छा करने के लिए उसने दो स?जेक्ट (स्टेटिकल एनालाइसिस और फारेंïट्टेड पालिसी प्रोस्टीमर एंड डोक्यूमेंटेशन) में एग्जाम दिया। एग्जाम पास तो करना ही था। लिहाजा मजबूरी में री एग्जाम भी दिया। लेकिन 17 महीने बीत जाने के बाद भी यूनिवर्सिटी ने विजय यादव को उसकी मार्कशीट प्रदान नहीं की। जिसके बाद 20 जुलाई 2011 को यूनिवर्सिटीज संपर्क किया तो बताया कि इस बार उसे एमकॉम फस्र्ट ईयर के स?जेक्ट इन्वेस्टमेंट मेनेजमेंट में गैर हाजिर दिखा दिया। इसी वजह से उसकी मार्कशीट इश्यु नहीं की गई। जबकि विजय यादव का कहना था उसने बाकायदा इस स?जेक्ट में एग्जाम दिया और वह पास भी हुआ था। जिसकी मार्कशीट उसके पास थी। स्टूडेंट ने दिलाया नोटिस यूनिवर्सिटी की इस नई करतूत ने स्टूडेंट्स बुरी तरह परेशान हो गया। उसने एडवोकेट के थ्रू इस मामले को कोर्ट में ले जाने की ठान ली। इसी प्रोसेस के जरिए उसने यूनिवर्सिटी को पहले बाकायदा लीगल नोटिस भी भिजवाया। लेकिन यूनिवर्सिटी की ओर से स्टूडेंट को कोई भी जवाब देना जरूरी नहीं समझा। दायर किया मामला स्टूडेंट ने डिस्ट्रिक्ट कन्ज्यूमर फोरम फस्र्ट में यूनिवसिर्टी पर लापरवाही और सेवा में कमी के आरोप में कोर्ट में घसीट लिया। डिस्ट्रिक्ट कंज्यूमर फोरम फस्र्ट न्यायपीठ के चेयरपर्सन श्याम बिहारी शर्मा और मेम्बर्स ने बहुमत से यूनिवर्सिटी को दोषी पाया। पीडि़त स्टूडेंट को 65 हजार रुपए बतौर हर्जाने के देने के आदेश पारित किए.

Posted By: Inextlive