- गोमतीनगर से आईपीएल सट्टेबाज की गिरफ्तारी के बाद खुलासा

- पंजाब से स्थानीय सट्टेबाजों का रैकेट हो रहा था संचालित

- एसटीएफ लगा रही असली बुकी का पता, पंजाब पुलिस से संपर्क

LUCKNOW: 'डिब्बा', 'पंटर', 'लगाया', 'खाया' कुछ इन्हीं कोडवर्ड के जरिए कानपुर में चल रहे आईपीएल मैच के दौरान राजधानी के गोमतीनगर इलाके में सट्टे का कारोबार चल रहा था। एसटीएफ की गिरफ्त में आने के बाद सट्टा किंग संजय मिश्रा ने खुलासा किया कि सीडीएमए फोन जिसे सट्टेबाजों की भाषा में 'डिब्बा' कहते हैं, उसके जरिए ही पंजाब से मैच के भाव पता चलते थे। संभावित विजेता टीम पर दांव लगाने वाले के लिए 'लगाया' तथा जीत की कम संभावना वाली टीम पर दांव लगाने वाले के लिए 'खाया' शब्द का प्रयोग होता था। मैच को कई ओवर्स के सेशंस में बांटकर भी दांव लगाया जाता था। प्रत्येक सेशन में कितने रन बनेंगे अथवा कितने विकेट गिरेंगे, इसके लिए अलग-अलग भाव होते हैं।

धोखा देने वालों के लिए कॉल रिकार्डिग

इतना ही नहीं, सट्टेबाजों ने पैसा लगाने के बाद धोखा देने वालों पर शिकंजा कसने का रास्ता भी तलाश लिया था। वे मैच में पैसा लगाने वाले की हर कॉल को रिकॉर्ड करते थे। बाद में अगर वो पूरा पैसा देने में आनाकानी करता था तो उसे कॉल रिकार्डिग सुनाकर पूरी रकम देने के लिए दबाव बनाया जाता था। यह पूरा गिरोह पंजाब के मेन बुकी के द्वारा संचालित किया जा रहा था। अब एसटीएफ उसकी तलाश के लिए पंजाब पुलिस से संपर्क साधने की तैयारी में है। बुकी ने ही स्थानीय सट्टेबाजों को 'पंटर' का नाम दे रखा था। मालूम हो कि संजय मिश्रा को गिरफ्तार करने के बाद पुलिस ने उसके कब्जे से सीडीएमए मोबाइल वाला 'डिब्बा' समेत 12 मोबाइल, साढ़े बारह लाख रूपये नगद और सट्टे की तमाम पर्चियां बरामद की थी जिसमें सट्टा लगाने वाले कई सफेदपोशों के नाम भी थे।

चल रहा था कॉमन गेमिंग हाउस

गोमतीनगर के खरगापुर में संजय मिश्रा के तिमंजिला आवास में छापा मारने के दौरान एसटीएफ को पता चला कि वहां कॉमन गेमिंग हाउस चल रहा था। पूछताछ के दौरान उसने बताया कि 'डिब्बा' फोन से उसे मैच खेलने वाली टीमों के भाव का पता चलता था जिसे वह दूसरे फोन के माध्यम से जुड़े अन्य सट्टेबाजों को बताकर भाव लगवाता था। मैच खत्म होने के बाद सभी का हिसाब भी फोन पर ही होता था। प्रत्येक सट्टेबाज इस खेल में भाग लेने के लिए कुछ रकम पेशगी देता था। मैच समाप्त होने के अगले दिन प्रत्येक सट्टेबाज जीती हुई रकम नगद लेता था या हारी हुई रकम जमा कराता था। वहीं, संजय मिश्रा को हर दांव पर कमीशन मिलता था।

इंटरनेट का भी इस्तेमाल

संजय ने बताया कि 'डिब्बा' डायरेक्ट लाइन से ऊपर के बुकी के मोबाइल लाइन से जुड़ा रहता है। बुकी इसी प्रकार सैकड़ों लाइनों को संचालित करता है तथा इंटरनेट के माध्यम से भाव प्राप्त कर सामूहिक रूप से सभी लाइनों से कनेक्ट 'डिब्बा' को लगातार सूचित करता रहता है। एसटीएफ ने जब इस सीडीएमए फोन के बारे में पता लगाया तो यह पहले दिल्ली का नंबर निकला। इसकी लोकेशन के बारे में भी टेलीकॉम कंपनी नहीं बता सकी। जब उससे कॉल डिटेल मांगी गयी तो वह भी नहीं मिल सकी। इससे अंदाजा लग गया कि 'डिब्बा' से आने वाली कॉल इंटरनेट कॉलिंग के जरिए हो रही हैं।

अलग-अलग कर रहे काम

एएसपी एसटीएफ शहाब रशीद खां ने बताया कि राजधानी में पांच बुकी सट्टे का संचालन करते हैं। पूर्व में एसटीएफ ने इन पर शिकंजा कसा तो वे अलग-अलग काम करने लगे। संजय से हुई पूछताछ और मौके पर मिले सुबूतों से पता चला है कि यह नेटवर्क इंटरनेशनल लेवल पर चल रहा था। जो रेट संजय मिश्रा को मिल रहे थे, वहीं इंटरनेशनल मार्केट में भी ट्रेंड कर रहे थे। एसटीएफ इस मामले की तह तक जाने का प्रयास कर रही है ताकि मेन बुकी को पकड़ा जा सके।

Posted By: Inextlive